मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में पदस्थ संतोष पॉल और उनकी पत्नी रेखा पॉल की कमाई और संपत्ति अब जांच एजेंसियों के कठघरे में है। आय के मुकाबले कई गुना अधिक संपत्ति, नकद लेन–देन का संदिग्ध पैटर्न और बैंक खातों की गहन पड़ताल ने मामले को गंभीर बना दिया है। प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई ने प्रशासनिक तंत्र में फैले भ्रष्टाचार पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
शिकायत के बाद FIR और फिर कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय (ED), भोपाल जोनल कार्यालय ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत यह कार्रवाई आर्थिक अपराध शाखा (EOW), भोपाल द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की। यह एफआईआर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराओं में दर्ज की गई थी, जिसमें क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (RTO) संतोष पाल और वरिष्ठ लिपिक श्रीमती रेखा पाल पर अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगाए गए थे। ईडी ने एफआईआर के बाद मामले को मनी लॉन्ड्रिंग के दृष्टिकोण से जांच में लिया।
आय और संपत्ति का चौंकाने वाला अंतर
ईडी की विस्तृत जांच में सामने आया कि संतोष पाल और रेखा पाल की कुल सत्यापित वैधानिक आय लगभग 73.26 लाख रुपये थी। इसके विपरीत, जांच अवधि के दौरान उन्होंने करीब 4.80 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की और उस पर खर्च किया। एजेंसी के अनुसार, करीब 4.06 करोड़ रुपये की संपत्ति आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक पाई गई, जिसे स्पष्ट रूप से Disproportionate Assets की श्रेणी में रखा गया।

नकद जमा और EMI से जुड़ा संदिग्ध पैटर्न
जांच के दौरान बैंक खातों के विश्लेषण में एक खास पैटर्न सामने आया। ईडी के अनुसार, आरोपियों के खातों में बार-बार बड़ी मात्रा में नकद जमा किया गया, और ये जमा प्रायः लोन की EMI चुकाने से ठीक पहले किए जाते थे। जांच एजेंसी का मानना है कि यह तरीका बैंकिंग प्रणाली के जरिए बिना हिसाब की नकदी को खपाने और वैध दिखाने की मंशा को दर्शाता है, जो मनी लॉन्ड्रिंग की एक सामान्य कार्यप्रणाली मानी जाती है।

इन संपत्तियों पर चला ईडी का चाबुक
ईडी ने जांच के आधार पर लगभग 3.38 करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। इन संपत्तियों में जबलपुर जिले में स्थित आवासीय मकान, आवासीय प्लॉट, कृषि भूमि और व्यावसायिक दुकानें शामिल हैं। जांच एजेंसी ने इन सभी अचल संपत्तियों को “अपराध की आय” (Proceeds of Crime) मानते हुए PMLA के तहत कार्रवाई की है।

PMLA के तहत आगे क्या हो सकता है
कानूनी जानकारों के अनुसार, अस्थायी कुर्की के बाद यदि आरोप साबित होते हैं, तो ये संपत्तियां स्थायी रूप से जब्त की जा सकती हैं। साथ ही, मामले में ईडी द्वारा अभियोजन की कार्रवाई भी की जा सकती है, जिससे आरोपियों को लंबी कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है। यह मामला न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि पूरे परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

ED की सख्ती लेकिन अभी भी पद पर संतोष पॉल
ईडी की यह कार्रवाई यह संकेत देती है कि आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में जांच एजेंसियां अब और अधिक सख्त रुख अपना रही हैं। परिवहन जैसे संवेदनशील विभाग में हुई इस कार्रवाई को प्रशासनिक भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अहम कदम के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन हैरानी की बात यह है की परिवहन विभाग के द्वारा संतोष पॉल कट ट्रांसफर वापस जबलपुर कर दिया गया है। हालांकि उन्हें विभाग के कानूनी मामले देखने के लिए प्रभार दिया गया है, लेकिन जानकारी के अनुसार वह खुद जबलपुर RTO बने बैठे हैं और RTO के अधिकार क्षेत्र के आदेश भी जारी कर रहे हैं।



