
साल 2026 की शुरुआत ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद मंगलकारी होने जा रही है। 4 जनवरी को साल का पहला ‘रवि पुष्य नक्षत्र’ पड़ रहा है। ज्योतिष शास्त्र में पुष्य को ‘नक्षत्रों का राजा’ कहा जाता है। जब यह नक्षत्र रविवार के दिन पड़ता है, तो ‘रवि पुष्य योग’ का निर्माण होता है, जिसे तंत्र-मंत्र, धन संचय और नवीन कार्यों के लिए ‘अमृत योग’ माना गया है।
क्यों खास है इस बार का रवि पुष्य नक्षत्र?
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव हैं और इसके अधिष्ठाता देवता देवगुरु बृहस्पति हैं। रविवार सूर्य का दिन है, जो सफलता और तेज का प्रतीक है। जब शनि, गुरु और सूर्य की ऊर्जा का संगम होता है, तो एक दुर्लभ “सिद्धि योग” बनता है।
इस संयोग की मुख्य विशेषताएं:
- अक्षय फल: इस दिन किए गए निवेश या खरीदारी का पुण्य कभी समाप्त नहीं होता।
- सर्वार्थ सिद्धि: पुष्य नक्षत्र के साथ बन रहे अन्य शुभ योग इसे स्वर्ण (Gold) खरीदने और व्यापारिक सौदों के लिए सर्वोत्तम बनाते हैं।
- दोषों का शमन: रवि पुष्य योग को कुंडली के कई अशुभ योगों के प्रभाव को कम करने वाला माना गया है।
ज्योतिषीय नजरिया: क्या करें और क्या खरीदें?
विख्यात ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन ग्रहों की स्थिति धन वृद्धि के लिए अत्यंत अनुकूल है:
| गतिविधि | महत्व एवं लाभ |
| स्वर्ण/चांदी की खरीदारी | सुख-समृद्धि और लक्ष्मी का स्थाई वास होता है। |
| नया व्यापार/निवेश | लंबे समय तक स्थिरता और भारी मुनाफा सुनिश्चित करता है। |
| श्री यंत्र स्थापना | इस दिन घर या ऑफिस में श्री यंत्र स्थापित करना सौभाग्य लाता है। |
| बहीखाता पूजन | व्यापारियों के लिए नए वित्तीय लक्ष्यों की शुरुआत हेतु श्रेष्ठ। |
विशेष सावधानी: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पुष्य नक्षत्र में ‘विवाह’ करना वर्जित माना जाता है, क्योंकि इसे ब्रह्मा जी का विशेष विधान प्राप्त है। अतः मांगलिक कार्यों के चयन में सावधानी बरतें।
सभी 12 राशियों के लिए विशेष उपाय
इस महासंयोग का पूर्ण लाभ उठाने के लिए अपनी राशि के अनुसार ये सरल उपाय करें:
- मेष: हनुमान चालीसा का पाठ करें और गुड़ का दान करें।
- वृषभ: श्री सूक्त का पाठ कर माता लक्ष्मी को सफेद मिठाई अर्पित करें।
- मिथुन: गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं और गाय को हरा चारा खिलाएं।
- कर्क: शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाएं। चांदी की वस्तु खरीदना शुभ होगा।
- सिंह: आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें और तांबे के पात्र का दान करें।
- कन्या: पक्षियों को सप्तधान्य डालें और “ॐ बुं बुधाय नमः” का जाप करें।
- तुला: छोटी कन्याओं को फल बांटें और मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- वृश्चिक: लाल मसूर की दाल दान करें और तांबे का सिक्का पास रखें।
- धनु: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। केसर का तिलक लगाना लाभकारी होगा।
- मकर: पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनि चालीसा पढ़ें।
- कुंभ: जरूरतमंदों को काला तिल या तेल दान करें।
- मीन: हल्दी मिश्रित जल से स्नान करें और केले के वृक्ष की पूजा करें।
शुभ मुहूर्त (4 जनवरी 2026)
4 जनवरी को पुष्य नक्षत्र सूर्योदय के साथ ही विद्यमान रहेगा, जिससे पूरा दिन ही मांगलिक कार्यों के लिए शुभ है। फिर भी, विशेष कार्यों के लिए इन विशिष्ट समयों का पालन करना अत्यंत लाभकारी होगा:
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 05:25 से 06:19 तक (अध्यात्म और साधना के लिए श्रेष्ठ) प्रातः संध्या: प्रातः 05:52 से 07:13 तक अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:05 से 12:47 तक (दिन का सबसे शक्तिशाली मुहूर्त, हर कार्य हेतु शुभ) विजय मुहूर्त: दोपहर 02:10 से 02:52 तक (मुकदमेबाजी या प्रतियोगिता में सफलता हेतु) अमृत काल: दोपहर 02:44 से 04:22 तक (स्वर्ण एवं संपत्ति की खरीदारी के लिए सर्वोत्तम) गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:35 से 06:03 तक (लक्ष्मी पूजन के लिए उपयुक्त) सायाह्न संध्या: शाम 05:38 से 06:59 तक निशिता मुहूर्त: रात्रि 11:59 से 12:53 (5 जनवरी) तक (विशेष तंत्र साधना और गुप्त पूजा के लिए) खरीदारी और निवेश के लिए अभिजीत मुहूर्त और विजय मुहूर्त सबसे फलदायी रहेंगे।
अस्वीकरण (Disclaimer): इस लेख में दी गई जानकारी ज्योतिषीय गणनाओं, सामान्य मान्यताओं और उपलब्ध शोध पर आधारित है। prathmikmedia.com इन तथ्यों की पूर्ण सत्यता या इसके प्रभावों की व्यक्तिगत गारंटी नहीं लेता है। किसी भी उपाय, निवेश या महत्वपूर्ण निर्णय को लेने से पहले संबंधित विषय के विशेषज्ञ या अनुभवी से परामर्श अवश्य लें।



