जबलपुर के हनुमानताल थाने पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं, जहां एक अधिवक्ता के खिलाफ फर्जी FIR दर्ज करने का मामला सामने आया है। आरोप है कि मारपीट की शिकायत दर्ज कराने के बाद थाने में ही बैठे अधिवक्ता पर काउंटर केस दर्ज कर दबाव बनाया गया। एक ही तारीख की घटना दिखाकर दर्ज की गई दो FIRs ने पुलिस की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
जबलपुर के हनुमानताल थाना क्षेत्र में पुलिस कार्यप्रणाली को लेकर एक और बड़ा विवाद सामने आया है। अवैध शराब बिक्री को संरक्षण देने के आरोपों से पहले ही घिरे हनुमानताल थाने पर अब एक अधिवक्ता के खिलाफ थाने में बैठे-बैठे फर्जी FIR दर्ज करने का आरोप लगा है। मामला इसलिए भी गंभीर माना जा रहा है क्योंकि पीड़ित कोई आम नागरिक नहीं, बल्कि पेशे से अधिवक्ता हैं, जिन्होंने पुलिस पर दबाव बनाकर झूठा काउंटर केस दर्ज करने का आरोप लगाया है।
हमले की FIR के बाद अधिवक्ता पर ही दर्ज हो गया काउंटर केस
मामला 22 नवंबर की रात का है। अधिवक्ता दिनेश गुप्ता के घर के बाहर कुछ लोग पटाखे फोड़ रहे थे। जब उन्होंने दरवाजे के सामने पटाखे फोड़ने से मना किया तो आरोपी आक्रोशित हो गए और अधिवक्ता व उनके परिवार के साथ मारपीट कर दी। इस घटना की शिकायत पर हनुमानताल थाना पुलिस ने उसी रात लगभग 11 बजे अनुज रैकवार, मनोज वंशकार, विनोद, आयुष और कंचन रैकवार के खिलाफ FIR दर्ज की।
लेकिन हैरानी की बात यह रही कि अगले ही दिन 23 नवंबर की रात करीब 9:30 बजे पुलिस ने उसी अधिवक्ता के खिलाफ काउंटर FIR दर्ज कर ली। सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि अधिवक्ता के खिलाफ दर्ज काउंटर केस में भी घटना की तारीख 22 नवंबर ही दर्शाई गई, जबकि शिकायत एक दिन बाद की बताई जा रही है।
सेटअप कर थाने में ही दर्ज की गई फर्जी FIR – अधिवक्ता का आरोप
अधिवक्ता दिनेश गुप्ता का आरोप है कि जब वे अपनी FIR दर्ज कराने के बाद थाने में ही मौजूद थे, उसी दौरान पुलिस ने दबाव बनाने के उद्देश्य से दूसरे पक्ष की झूठी शिकायत लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। उनका कहना है कि यदि वास्तव में दूसरी घटना हुई होती, तो एक दिन बाद शिकायत दर्ज कराने और उसी तारीख को घटना दर्शाने का कोई औचित्य नहीं बनता। अधिवक्ता ने इस पूरी कार्यवाही को जानबूझकर किया गया पुलिसिया सेटअप करार दिया है।

अधिवक्ता संघ को दी गई मामले की शिकायत
इस मामले को लेकर अधिवक्ता ने जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष मनीष मिश्रा को लिखित शिकायत सौंपी है। मनीष मिश्रा ने बताया कि इस विषय में पुलिस अधीक्षक सहित हनुमानताल थाना प्रभारी से बातचीत की गई है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यदि यह साबित होता है कि थाना प्रभारी के संरक्षण में फर्जी कार्यवाही की गई है, तो अधिवक्ता संघ उग्र आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेगा। अधिवक्ता संघ ने इस मामले को न्याय व्यवस्था और अधिवक्ताओं की सुरक्षा से जोड़कर देखा है।

थाना प्रभारी की सफाई, लेकिन FIR की तारीख ने बढ़ाया संदेह
वहीं हनुमानताल थाना प्रभारी का कहना है कि अधिवक्ता की शिकायत के दूसरे दिन दोबारा विवाद हुआ था, जिसके बाद दूसरे पक्ष की शिकायत पर काउंटर मामला दर्ज किया गया। हालांकि उनकी यह सफाई खुद सवालों के घेरे में है, क्योंकि FIR में घटना की तारीख 22 नवम्बर ही दर्ज है, न कि 23 नवंबर। यही विरोधाभास पुलिस की भूमिका पर गंभीर संदेह खड़ा कर रहा है।



