34.4 C
Delhi
बुधवार, अगस्त 27, 2025

कल सीएम आएंगे जबलपुर, कार्यक्रम के चलते ट्रैफ़िक रहेगा डायवर्ट

कल शनिवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान जबलपुर आगमन प्रस्तावित है। वे शाम पाँच बजे मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के गैरिसन ग्राउंड में आयोजित राज्य स्तरीय हितलाभ वितरण कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस दौरान उनके आगमन-प्रस्थान और कार्यक्रम के दौरान जबलपुर पुलिस द्वारा यातायात डायवर्सन और पार्किंग की व्यवस्था इस प्रकार की गई है।

डायवर्सन व्यवस्था-

1-कार्यक्रम के दौरान यादगार चौक, एम्पायर तिराहा, पेंटीनाका चौक, समन्वय चौक से किसी भी प्रकार के वाहन गैरिसन ग्राउण्ड सृजन चौक की ओर नही जा सकेंगे।

2-कार्यक्रम के दौरान कैरब्ज तिराहा, मण्डला क्रासिंग, गन चौक, बिरमानी पेट्रोल पंप चौक, सदर बाजार, रिज रोड से समस्त प्रकार के बड़े/मध्यम वाहनों का कार्यक्रम स्थल गैरिसन ग्राउण्ड की ओर जाना प्रतिबंधित रहेगा।

3-मण्डला से आने वाली बसे एकता मार्केट वायपास से डायर्वट होकर अंधमूक होते हुए दीनदयाल बस स्टैड जाएंगी।

गैरीसन ग्राउण्ड कार्यक्रम दौरान पार्किंग व्यवस्था-

  1. नर्मदा क्लब- कार्यक्रम में शामिल होने वाले गणमान्य नागरिक जो एम्पायर तिराहा की ओर से कार्यक्रम में आयेगंे, उनकी कारें नर्मदा क्लब में पार्क होगी।
  2. आईजी ग्राउंड (सृजन चौक के पास)- 1. दो/ चार पहिया वाहन सृजन चौक पार्किंग स्थल मीडिया पार्किग।
  3. आईजी ग्राउंड (पेंटीनाका के पास)- 1. दो/ चार पहिया वाहन एवं बसों की पार्किंग।
  4. आरसीएम ग्राउंड- सिहोरा, मझौली ,पनागर, पाटन, कटंगी से आने वाली बसे शहर के बाइपास मार्ग से होते हुुये तिलवारा पुल, चुल्हा गोलाई, एकता मार्केट, गोराबाजार होते हुए आर.सी.एम.ग्राउण्ड में बसें पार्क होगी।
  5. मुर्गी मैदान- शहपुरा, बरगी, भेड़ाघाट, बरेला एवं नगर निगम से आने वाली बसे तिलवारा पुल से शॉन एलिजा, बरगी हिल्स, ग्रेनेड चौक, बंदरिया तिराहा, कपूर क्रासिंग, जॉयसवाल पेट्रोल पंप पर उतार कर मुर्गी मैदान में पार्क होगी एवं नगर निगम क्षेत्र से आने वाली बसों की पार्किंग।
  6. वेटनरी कॉलेज पार्किंग- कुण्डम, खमरिया, रांझी से आने वाली वाहनों की पार्किंग।
  7. व्ही.आई.पी. पार्किंग-सृजन चौक से यादगार चौक – सी.एम.का कारकेट, सांसद, महापौर, सृजन चौक से यादगार चौक तक पार्किंग।
  8. सेंट थॉमस स्कूल पार्किंग- अन्य दो/चार पहिया वाहनों की पार्किंग।

एयरपोर्ट जाने वाले समय से आधे घंटे पहले पहुँचे – डुमना एयरपोर्ट फ्लाईट से जाने वाले यात्रियों को समय से आधे घण्टे पहले एयरपोर्ट पहुँचने की हिदायत दी गई है। ताकि व्हीआईपी मूवमेंट के दौरान किसी प्रकार की असुविधा न हो।
पुलिस प्रशासन ने संस्कारधानीवासियों से अपील करते हुए कहा है कि यातायात व्यवस्था को सुगम और सुचारू रूप से बनाये रखने के लिए वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करें।

कार्यक्रम के संबंध में जबलपुर एसपी ने भी ली बैठक

सीएम के प्रस्तावित जबलपुर आगमन और कार्यक्रम के चलते आज पुलिस कन्ट्रोलरूम जबलपुर में पुलिस अधीक्षक जबलपुर तुषार कांत विद्यार्थी ने कार्यक्रम स्थल गैरिसन ग्राउंड और अन्य व्यवस्था में लगे अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने वहाँ मौजूद अधिकारियों को व्यवस्थाओं के सम्बंध में आवश्यक दिशा निर्देश भी दिये।

बैठक में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) प्रियंका शुक्ला (भा.पु.से.), अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर दक्षिण) संजय कुमार अग्रवाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अपराध समर वर्मा तथा नगर पुलिस अधीक्षक अधारताल प्रियंका करचाम, नगर पुलिस अधीक्षक कोतवाली प्रभात शुक्ला, नगर पुलिस अधीक्षक ओमती आर.डी. भारद्वाज, नगर पुलिस अधीक्षक गोरखपुर प्रतिष्ठा राठौर, नगर पुलिस अधीक्षक गोहलपुर अखिलेश गौर, उप पुलिस अधीक्षक मुख्यालय/ नगर पुलिस अधीक्षक कैट तुषार सिंह, उप पुलिस अधीक्षक ग्रामीण अपूर्वा किलेदार, नगर पुलिस अधीक्षक बरगी अंकिता खातरकर, एसडीओपी सिहोरा पारूल शर्मा मरावी, उप पुलिस अधीक्षक अपराध सुशील चौहान उपस्थित रहे। विदित हो कि बेैठक के पूर्व आज शाम 4 बजे व्यवस्था मे लगे सभी राजपत्रित अधिकारी एवं थाना प्रभारियों ने कार्य्रक्रम स्थल गैरिसन ग्राउंड पहुंचकर अपने ड्यूटी स्थल को देखा तथा व्यवस्था सम्बंधी रिहर्सल की ।

त्रिपुरी वॉर्ड के कालोनीवासियों ने कालोनी वैध करने हेतु की मॉंग


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अवैध कालोनी को वैध करने की मुहिम से आशान्वित होकर त्रिपुरी वार्ड के अंतर्गत आने वाले खसरा नम्बर 662 की विभिन्न कालोनियों के नागरिकों ने आज नगर निगम नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल और त्रिपुरी वार्ड पार्षद सुनील पुरी गोस्वामी के संयुक्त नेतृत्व में कालोनी सेल के अधिकारी सत्येन्द्र दुबे को कालोनियों का विधिवत सर्वे, सीमांकन कराकर कालोनियों को वैध कराने का आवेदन दिया। कालोनीवासियों का कहना है कि जब पूरे प्रदेश में अवैध कालोनियाँ वैध हो रही हैं तो उनकी कालोनियों को भी वैध होने का पूरा हक है। कमलेश अग्रवाल ने अधिकारियों से आग्रह किया है कि नियम अनुसार त्वरित कदम उठाते हुये उचित प्रक्रिया का जल्द से जल्द पालन हो।

पीएम मोदी और पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के वायरल विडिओ का सच!

कुछ दिनों से एक विडिओ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री बागेश्वरधाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री को टीवी स्क्रीन पर देख रहे हैं और सुन रहे हैं। बहुत से लोगों ने ये विडिओ सोशल मीडिया पर शेयर भी किया है जिसमें धीरेन्द्र शास्त्री वृद्धाश्रम की अपनी एक विजिट का किस्सा सुना रहे हैं। हाल ही में पी आई बी फैक्ट चेक ने इस विडिओ की जांच करते हुए अपने ट्विटर अकाउंट के ज़रिए बताया है कि ये विडिओ morphed है। असली विडिओ 22 जुलाई 2019 का है जिसमें pm मोदी चंद्रयान 2 लॉन्च का सीधा प्रसारण देख रहे हैं। मज़े की बात तो ये है कि पी आई बी फैक्ट चेक ने जिस ट्विटर अकाउंट को कोट करते हुए इस विडिओ को फ़र्ज़ी बताया है, वो अकाउंट भारतीय जनता पार्टी दतिया ( मध्यप्रदेश) के जिला आईटी संयोजक कृशनपाल चंदेल का है। उन्होंने लिखा है कि पीएम मोदी ने पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के माता पिता के प्रसंग वाले रामकथा का विडिओ देखा। अब अगर आईटी संयोजक ऐसा कर रहे हैं तो आप बेचारे कार्यकर्ताओं से कैसे उम्मीद करेंगे कि वो ये morphed विडिओ शेयर न करें। इसलिए पहले reality check करें फिर शेयर करें। हालांकि इस post को आप बेहिचक शेयर कर सकते हैं। क्यूंकी हम फेक न्यूज़ के खिलाफ़ हैं। फैक्ट चेक वाले इस विडिओ को अवश्य देखिए।

महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा के लिए उनके पर्स में रखें ये चार चीजें

वर्तमान समय में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के चलते उनका घर से बाहर निकलना कठिन हो गया है। ऐसे में कामकाजी महिलाओं और छात्राओं के लिए घर से बाहर रहना सुरक्षित बनाने के लिए एक ओर प्रशासन अपना दायित्व तो निभा ही रहा है लेकिन महिलाओं और बेटियों को भी स्वयं की सुरक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। यहाँ हम ऐसी कुछ चीजें बता रहा हैं जिन्हें महिलाओं और बेटियों को अपने पर्स में सदैव रखना चाहिए। ताकि विपरीत परिस्थितियों में खुदको असहाय महसूस न करें।

  1. पेपर स्प्रे – 1960 के दशक में एलन लिटमैन नामक युवा आविष्कारक ने अपनी पत्नी की सलाह पर पेपर स्प्रे ईजाद किया था। जो हमलावर को बिना मारे ही निष्क्रिय करने में कारागार साबित हुआ। ये अलग-अलग कंपनी और मात्रा में आता है। आप अपने पर्स के साइज़ के हिसाब से इसे खरीद सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि समाज महिलाओं के लिए सुरक्षित बन जाए और आपको इनके इस्तेमाल की जरूरत न पड़े लेकिन यदि कभी पड़े तो आप अपनी सुरक्षा करने में हिचकिचाएँ नहीं।

2. पर्सनल अलार्म – ये एक ऐसा डिवाइस है जो कई परिस्थितियों में आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। इसमें मौजूद पिन को खींचने पर एक हाई फ्रीक्वेनसी साउन्ड निकलता है जो दूर तक सुना जा सकता है। और जब तक इसमें पिन वापिस न लगायी जाए तब तक ये साउन्ड करता रहता है। ऐसे में हमलावर डरकर भाग सकता है और यदि वो इस डिवाइस को तोड़ने की कोशिश करता है तो ये टूटता नहीं है। ऐसा दावा इसे बनाने वालों का है। अगर आप अकेले कहीं रोड ट्रिप, ट्रेकइंग, माउंटेन क्लाइम्बिंग के लिए जा रहे हैं तो इसे अपने साथ जरूर ले जाएँ। साथ ही स्कूली बच्चों और घर के बुजुर्गों को भी इसे रखने के लिए दें। ताकि किसी अप्रिय स्थिति में वो इसका इस्तेमाल कर सकें। उपयोग से पहले इसके मैनुअल को अच्छी तरह पढ़ लें।

3. एक्सपेंडेबल रॉड – वैसे तो ये एक तरह की फोल्डेबल रॉड है जिसका इस्तेमाल बोर्ड पर लिखी हुई चीज़ों को पॉइंट करने के लिए किया जाता है, लेकिन बुरे समय में आपकी सुरक्षा के लिए ये एक सेफ़्टी रॉड का काम कर सकती है। इसके उपयोग से संबंधित विडिओ आपको इंटरनेट पर आसानी से मिल जाएँ।

4. मेटल बॉडी टॉर्च – इस टॉर्च की खासियत ये है कि ये मेटल बॉडी है, इसमें ग्लास ब्रेक करने के लिए पॉइंट और फोन को चार्ज करने के लिए पावर बैंक की तरह काम करने का विकल्प भी है। सबसे ज़ोरदार है इसकी लाइट, जो कि 300 मीटर तक तेज प्रकाश फेंकती है। इसकी रोशनी हमलावर की आँखों में पड़ते ही उसे कुछ सेकंड्स के लिए चौंधिया देगी। और आप इस मेटल बॉडी टॉर्च का इस्तेमाल करके उस पर हमला करके उसे सबक सिखा सकते हैं।

अस्वीकरण – प्रस्तुत उत्पाद अफ़िलिएट मार्केट की लिंक से जुड़े हुए हैं। उत्पादों को खरीदते समय उनकी वारंटी और उपयोगिता संबंधित जानकारी को अच्छे से देख-परख लें। और उत्पादों की खरीदी स्वयं के विवेक से करें। उक्त वस्तुओं का इस्तेमाल स्वयं की सुरक्षा के लिए ही करें। उत्पादों के गैर-कानूनी इस्तेमाल, फेलियर, रिफ़ंड, वारंटी, गारंटी या अन्य किसी दावों के लिए प्राथमिक मीडिया या लेखक या कोई अन्य व्यक्ति ज़िम्मेदार नहीं होगा।

पीएम आवास राशि मिलने के बाद भी शुरू नहीं किया निर्माण, 447 हितग्राही निगम के निशाने पर

नगर निगम जबलपुर द्वारा कल सोमवार को जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार पीएमएवाये की राशि मिलने के बाद भी काम शुरू न करने पर हितग्राहियों को राशि लौटानी पड़ सकती है। प्रधानमंत्री आवास योजना के बी.एल.सी. घटक के अंतर्गत स्व-आवास निर्माण के लिए 13,093 हितग्राहियों को पहली किश्त की राशि 1 लाख रूपये दी गई थी। लेकिन 13,093 हितग्राहियों में से 447 ने आज तक पहली किश्त मिलने के बाद भी काम शुरू नहीं किया। जिसपर निगमायुक्त स्वप्निल वानखड़े ने सख्त कदम उठाते संबंधित अधिकारी को निर्देश देकर कहा कि, यदि इन हितग्राहियों के द्वारा शासन से मिली राशि से मकान निर्माण का काम शुरू नहीं किया जाता है, तो उन हितग्राहियों के खिलाफ़ राशि वापसी के साथ अन्य वैधनिक कार्यवाही की जाएगी। निगमायुक्त ने उक्त सभी 447 हितग्राहियों को मकान के निर्माण कार्य प्रारंभ कराने के लिए एक और मौका देते हुए कहा है कि सभी हितग्राही शीघ्रता के साथ शासन से मिली राशि से मकान का निर्माण कार्य प्रारंभ करायें अन्यथा कार्यवाही के लिए हितग्राही तैयार रहें।  

जनता के पैसे से प्रचार पा रहा है कौन? विज्ञापन वाली सरकार खुलासे पर मौन!

हाल ही में न्यूज़ लौंड्री की वायरल हुई एक रिपोर्ट ने देश के हर नागरिक को सोचने पर मजबूर कर दिया है। न्यूज़ लॉन्ड्री की इस वायरल न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक सत्ता में आने के 2,528 दिनों में मोदी सरकार ने कुल 23 अरब 3 करोड़ 44 लाख 40 हजार 961 रुपए सिर्फ प्रिंट मीडिया को दिए गए विज्ञापन पर खर्च किया। यानि प्रतिदिन जनता के टैक्स का करीब 71 लाख रुपये सिर्फ़ अखबारों को विज्ञापन देने पर खर्च हो रहा है। रिपोर्ट पिछले 9 सालों में हुए विज्ञापन के खर्च की राशि का अनुपात भी बताया गया है। इसमें 50% से ज्यादा राशि (16 अरब 71 करोड़ 12 लाख 11 हजार 741 रुपए) करीब 30 मीडिया संस्थानों को मिली और बाकी दूसरे अखबारों को। हर साल सरकारी विज्ञापन पाने वाले अखबारों की संख्या कुछ इस प्रकार है, जैसे 2015-16 में 8315 और 2022-23 में 3123। हालांकि इस विज्ञापन वाली सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली की आम आदमी पार्टी के संस्थापक और दिल्ली के मुख्यमंत्री पर जनता के पैसे से विज्ञापन के जरिए अपने इमेज चमकाने पर खरी-खोटी सुना चुके हैं। लेकिन न्यूज़ लौंड्री की ये रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद सरकार की ओर से किसी ने कोई सफाई नहीं दी है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। सरकारें जो भी खर्च करती हैं वो आम जनता की कमाई के हिस्से से ही जुड़ा होता है। कभी सरकारी कोष में जमा धन इस्तेमाल होता है तो कभी अंतर्राष्ट्रीय बैंक से उधार ली हुई राशि। जैसे जेएनएनयूआरएम के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक ने लोन दिया था। चाहे ये लोन हो या विज्ञापन पर खर्च की गई राशि। राजनीतिक दल अपनी जेब से ये खर्च नहीं करते हैं। इसलिए सामाजिक जागरूकता फैलानी वाली संस्थाएँ आपको सोच समझकर अपना जनप्रतिनिधि चुनने के लिए कहती हैं। जो आपके बीच शुरू से रहा हो। जिसे आपका वोट मांगने के लिए महंगे प्रचार करने की आवश्यकता न पड़ी हो। ताकि आप भविष्य में होने वाले संभावित नुक्सानों से खुद को बचा सकें। 

प्रेम – बाध्यता, अनिवार्यता या कर्तव्य?

ये चीजें हर रिश्ते में होती हैं। लेकिन इन वजहों से उस इंसान को अनदेखा नहीं किया जा सकता जो उससे बेहद और निस्वार्थ प्यार करता है। वैसे भी प्रेम का कोई लिखित संविधान नहीं है इसलिए वो अपने इस रिश्ते में किसी लिखित-अलिखित या सुने-सुनाए नियमों पर नहीं चलेगा। वो अपनी ओर से प्रेम भरा रिश्ता ही निभाएगा।

शौर्य अपने होटल के कमरे की बालकनी में खड़े-खड़े बादलों के की परत को पार करते सूरज को उगते हुए देख रहा है। इन बादलों को देखते हुए वो उन खयालों में डूबने लगता है जब उसने ऐसी किसी सुबह की कल्पना भी नहीं की थी। शौर्य अपने बीते हुए सालों को याद करने लगता है और याद करते-करते उस लम्हे में पहुँच जाता है जब उसका मन करता था कि वो दुनियादारी से बहुत दूर चला जाए लेकिन सोची हुई बातें हमेशा सच हो जाएँ ऐसा ज़रूरी तो नहीं।

कुछ सालों पहले की बात है जब शौर्य का परिवार चाहता है कि उसकी उम्र काफी हो गई है इसलिए वो शादी कर ले। इसके लिए उसे आए दिन कम्युनिटी के व्हाट्सएप ग्रुप पर आने वाली लड़कियों के फोटो और bio डाटा उसके पिता उसे फॉरवर्ड करते। लेकिन किसी का फोटो और bio डाटा देखकर क्या उससे मिलने का मन बनाया जा सकता है। मतलब शादी को लोग जॉब की तरह ट्रीट क्यूँ करते हैं कि इस कैंडीडेट की शक्ल और बैकग्राउंड पसंद है इसलिए उसे इस वैकन्सी के लिए बुलाया जाए। ये बात शौर्य को बहुत खराब लगती। इसलिए वो अपने पिता से कहता कि इन फोटोज़ और bio डाटा को देखकर वो उनसे मिले या न मिले, ये वो तय नहीं कर सकता। उसके पिता शायद उसकी बात समझ जाते इसलिए उसे किसी से मिलने के लिए फोर्स नहीं करते लेकिन एक दिन एक लड़की के पिता के बार-बार कॉल करने पर शौर्य अपने परिवार के साथ उनसे मिलने उनके घर गया। जहाँ लड़की ने शौर्य से बात भी की लेकिन घर लौटने के बाद शौर्य को उस लड़की का चेहरा याद नहीं है इसलिए वो कुछ दिन बाद दुबारा उस लड़की से बाहर मिला लेकिन उसके बाद जब वो घर लौटकर आया तब भी उसके चेहरे को याद करने की कोशिश करता ही रह गया। जब उसकी ये कोशिश नाकाम हो गई तो उसने शादी के लिए मना कर दिया। इसके बाद उसने शादी का खयाल ही छोड़ दिया। लेकिन उम्र आपके खयाल छोड़ने से अपना बढ़ना रोक नहीं देती। दो-तीन सालों में वो 35 का हो गया। और तब तक शादी के खयाल से वो काफी दूर जा चुका था। लेकिन जैसा शुरू में ही कह दिया गया है कि सोची हुई बातें हमेशा सच हो जाएँ ऐसा… तो हुआ ये कि एक दिन अपने काम के चलते जब वो एक ईवेंट में पहुँचा तो वहाँ वो एक लड़की कीर्ति से टकराया। जिससे जान-पहचान भी हुई लेकिन बात आई गई हो गई। फिर एक दिन किसी काम के वजह से कीर्ति उसके इनबॉक्स में टकरायी। यहाँ से शुरू हुई उनकी बातचीत, इसके बाद वो मिले भी। उनकी मुलाकातों का सिलसिला बढ़ता गया। वो कीर्ति के व्यवहार और व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हुआ। दोनों एक-दूसरे को बेहद पसंद करने लगे। दोनों ने तय किया कि वो इस रिश्ते को आगे ले जाएंगे। यहाँ से शुरू हुआ दौर एक-दूसरे को और बेहतर ढंग से समझने का। और यहाँ से शुरू हुआ वो दौर भी जो हर उस रिश्ते में आता है जो पहले प्रेम की शक्ल में शुरू होता है और बाद में उसके अलग-अलग रूप दिखने लगते हैं। शौर्य और कीर्ति शुरू में एक-दूसरे से फोन पर बहुत बातें किया करते। लेकिन फिर शौर्य का काम उनकी बातचीत के आड़े आने लगा। देर रात तक एक-दूसरे से बात करना उसे रोज संभव नहीं दिख रहा है। इसलिए उसने कीर्ति से फोन पर कम बात करने के लिए कहा। कीर्ति ने इस बात का सीधे विरोध नहीं किया लेकिन सीधे समर्थन भी नहीं किया। उसने शौर्य से कहा कि जब भी उसके पास समय हो वो उसे कॉल कर ले। अब शौर्य को ये बाध्यता लगा या कीर्ति ने उस पर बाध्यता डाल दी ये उसके लिए तय करना मुश्किल है। लेकिन अगर बात प्रेम की हो तो प्रेम स्वयं में एक स्वतंत्र अभिव्यक्ति है इसलिए उसमें बाध्यता जैसी बातें नहीं आती होंगी। शौर्य खुद कीर्ति से कहता कि सुबह किसी और का कॉल लेने से पहले वो कोशिश करता है कि कीर्ति से बात कर ले। हालांकि शौर्य ने अपने इस कॉल को किसी अनिवार्यता या कर्तव्य से नहीं जोड़ा और न ही कीर्ति ने इसे अनिवार्यता या बाध्यता समझा। हाँ लेकिन प्रेम में बाध्यता न सही कर्तव्य जरूर होते हैं। ये दो लोगों का कर्तव्य ही है कि वे एक-दूसरे की पसंद-नापसंद और आत्मसमान का ध्यान रखें। जो कि वो दोनों रखते भी हैं लेकिन कई बार शौर्य कीर्ति के द्वारा मज़ाक में दिए जाने वाले लगातार उलटे जवाबों से आहत हो जाता। लेकिन उस पर वो रीऐक्ट भी नहीं कर पाता। क्यूंकि पिछले कुछ दिनों में उसे कीर्ति का वो रूप देखने मिला है जो उसने पहले नहीं देखा। कीर्ति अपनी ही दुनिया की बातों में उलझकर शौर्य से नाराज़ हो जाती। जिसका असर शौर्य के मन और उसके काम पर पड़ता। इस बारे में दोनों की बातें भी होती और कीर्ति ये कहती कि वो अपने इस रवैये पर काम कर रही है। वो शौर्य से कहती कि उसने जो भी लक्ष्य जीवन में तय किए हैं वो दोनों मिलकर पूरा करेंगे। लेकिन जब कीर्ति अचानक से उससे उन बातों को लेकर नाराज़ हो जाती कि वो उसके लिए समय नहीं निकालता तो शौर्य सोचता कि आखिर मैं कहाँ व्यस्त हूँ, अगर कीर्ति के साथ नहीं हूँ तब काम ही कर रहा होता हूँ। शौर्य के मुताबिक उसे लगता कि वो कीर्ति से फोन पर भी बात करता है और पूरे दिन उसके आसपास रहकर उसे अपनी उपस्थिति और साथ होने का एहसास भी कराता है। लेकिन कीर्ति के मुताबिक शौर्य उसके लिए समय नहीं निकालता है और रिश्ते को फॉर ग्रांटेड ले रहा यही। कीर्ति को शौर्य की बातें और व्यवहार देखकर लगता कि शौर्य अपने कम्फर्ट ज़ोन और कंविनियेंस पर ही काम करता है। दोनों के बीच मन-मुटाव या बहस होने पर वो उसे इसके ताने भी मारती, जैसे शौर्य की कभी कोई गलती ही नहीं होती। वो हमेशा सही होता है। हालांकि दोनों अपनी-अपनी गलतियों पर माफी भी मांग लेते। कीर्ति इन लड़ाई-झगड़ों के बारे में शौर्य से कहती कि कोई भी रिश्ता फूलों की गलियों से होकर नहीं गुज़रता। वहाँ ऐसे भी मौके आते हैं जब कटीली झाड़ियों के जंगल से भी गुज़रना पड़ता है। शौर्य फिगर आउट करने में लगा है कि कीर्ति पहले जब उससे मिली तब वो उसके साथ खुश रही। लेकिन अब ऐसा क्या होने लगा कि अक्सर उनके बीच किसी बात को लेकर तना-तानी होने लगी? कीर्ति को लगता कि उसने शौर्य को शुरू से जैसा पाया था शौर्य वैसा ही रहना चाहता है। वो खुद कुछ नया या अलग नहीं करना चाहता है। कीर्ति लगातार कोशिशों में लगी रहती कि शौर्य अपनी दिनचर्या को बदले। कुछ बेहतर करे और कुछ नया करे। शौर्य को कीर्ति की इस सोच की वजह लगती उसकी उम्र, कीर्ति 27 की है। वो अब भी ज़िंदगी में कुछ नया ढूंढ रही है। लेकिन शौर्य इस उम्र के पड़ाव तक आकर काफी कुछ कर चुका है। और अब उसने कुछ कामों में ही सीमित रहना सीख लिया है।

शौर्य के मन में कीर्ति के खिलाफ़ कभी कुछ नहीं आया और न ही कीर्ति के मन में उसके खिलाफ़ कुछ आया। लेकिन प्रेम से शुरू हुआ ये रिश्ता धीरे-धीरे अनिवार्यता, कर्तव्य और बाध्यता में सिमट कर रह गया। कीर्ति शौर्य के काम को लेकर लगातार उससे सवाल करती, जिसके जवाब देता लेकिन कभी-कभार बोल देता कि कितने सवाल करती हो। कीर्ति को लगता कि शौर्य कहीं उसे छोड़ न दे। लेकिन वो उसे अपने रहने और होने का यकीन दिलाता रहता। कीर्ति की बहुत सारे बातों में कुछ बातें बहुत अच्छी हैं जैसे वो किसी भी झगड़े को सुलझाए बिना शौर्य को छोड़कर नहीं जाती। और हमेशा ये कोशिश करती कि शौर्य के काम करने के दौरान वो उसके आसपास ही रहे। ताकि वो उसके साथ वक़्त बिता पाए और उसके काम में कुछ मदद कर पाए। कीर्ति चाहती है कि शौर्य रात में 10 मिनट ही सही उससे बात कर लिया करे या जिस दिन वो उससे मिलने नहीं आ पाती वो उससे मिल लिया करे। हफ्ते में कम से कम एक बार बाहर घुमाने ले जाए। शौर्य को इनमें से किसी भी बात से कोई ऐतराज़ नहीं है। वो अपनी तरफ से प्रयास करता। लेकिन कुछ करने पर जब कीर्ति उससे कहती कि वो ये सब उसके कहने की वजह से तो नहीं कर रहा है, तब वो कुछ कह नहीं पाता। शौर्य की इस रिश्ते से सबसे बड़ी उम्मीद है सुकून, जिसे वो हासिल करने के लिए वो सब करता जो उसके बस में है लेकिन कहीं न कहीं उससे कोई कमी रह जाती। इन सारी उधेड़-बन के बीच कीर्ति उसे शादी के लिए प्रपोज़ कर देती है। शौर्य उसे हाँ कह देता है। उसे लगता है कि ये चीजें हर रिश्ते में होती हैं। लेकिन इन वजहों से उस इंसान को अनदेखा नहीं किया जा सकता जो उससे बेहद और निस्वार्थ प्यार करता है। वैसे भी प्रेम का कोई लिखित संविधान नहीं है इसलिए वो अपने इस रिश्ते में किसी लिखित-अलिखित या सुने-सुनाए नियमों पर नहीं चलेगा। वो अपनी ओर से प्रेम भरा रिश्ता ही निभाएगा। वो कीर्ति की उन कोशिशों को तो बिलकुल भी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता जहाँ वो खुदकों एक बेहतर इंसान बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। अगर उसने आज कदम पीछे हटाए तो कीर्ति का खुद पर से भी भरोसा उठ जाएगा। और कीर्ति भी तो उस पर कितना यकीन करती है। शौर्य ने तय किया कि वो उन दोनों के के यकीन का मान रखेगा। उसने प्रेम में अपना कर्तव्य निभाया और प्रेम ने उसे एक खुशहाल रिश्ते का उपहार दिया। शौर्य सूरज को उगते हुए देखकर कीर्ति और उसके रिश्ते के बारे में सोच रहा है और मन ही मन यही प्रार्थना कर रहा है कि उसे कीर्ति के साथ रोज सुबह उगता हुआ सूरज देखने का मौका मिले। लेकिन कीर्ति है कहाँ? तभी कीर्ति ट्रैक सूट में पसीने से लथपथ कमरे में दाखिल होती है। वो अभी जॉगिंग करके लौटी है। शौर्य उसे पलटकर देखता है, वो जानता है कि कीर्ति सुबह-सुबह जब तक अपने दस हज़ार स्टेप्स पूरे न कर ले तब तक उसे सुकून नहीं मिलता। चाहे वो छुट्टियाँ ही क्यूँ न मना रही हो। कीर्ति शौर्य को बालकनी में खड़ा देखती है, जब वो बाहर उसके पास जाती है तो पड़ोस की बालकनी में एक लड़की को देखती है। और शौर्य को छेड़ते हुए कहती है, सूरज को देखने के बहाने किसी और के चाँद को ताका जा रहा है। शौर्य उसकी तरफ देखता है और मुस्कुरा देता है। वो कीर्ति का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लेता है। वो दोनों पलटकर अपने साढ़े तीन साल के बेटे को देखते हैं जो अभी भी गहरी नींद में सो रहा है। कीर्ति शौर्य के कंधे पर सिर रखकर सूरज को देखने लगती है। सूरज को देखते-देखते उन दोनों के हाथ की कसाहट बढ़ती जाती है। आज बादलों के ऊपर आते हुए इस सूरज को देखते हुए शौर्य और कीर्ति के रिश्ते ने 5 साल पूरे कर लिए हैं।

“कटहल” कई तरह से सामाजिक मुद्दों पर चोट करती है लेकिन..

हाल ही में हिन्दी सिनेमा की कुछ फिल्मों ने अपनी पटकथा के चलते लोगों के बीच चर्चा का विषय बनीं। इन फिल्मों में देश के ऐसे मुद्दों को उछला गया जिन्होंने लोगों के विचारों में उथल-पुथल मचा दी। कश्मीर फ़ाइल्स और केरला स्टोरी जैसी फ़िल्म्स ने ग्राउन्ड लेवल पर सक्रिय संगठनों से लेकर व्हाट्सएप पर मौजूद तथाकथित कट्टरपंथियों को चर्चा-बहस और आरोप-प्रत्यारोप का मौका दिया। इस दौरान जिस तथ्य को लेकर वैचारिक हमले किए जा रहे थे उसे कोर्ट ने केरला स्टोरी फ़िल्म प्रदर्शन के दौरान तथ्यों को सुधारकर पेश करने को कहा। लेकिन जिन्हें बोलने का मौका चाहिए, उन्होंने यहाँ भी बोलने का मौका ढूंढ लिया। फिल्म को कुछ राज्यों में टैक्स फ्री किया गया और कुछ राज्यों में इसकी मांग होती रही और कुछ राज्यों में ने कुछ संगठनों ने मुफ़्त में ये फिल्म लोगों को दिखाई। खासतौर से महिलाओं और लड़कियों को। इसके लिए लोगों से चन्दा भी एकत्रित किया गया और पूरे के पूरे शोज़ बुक किए गए। इसके चलते दोनों फिल्मों को बड़ा फ़ायदा हुआ।

इस सबके के बीच में इंटरनेट पर मौजूद एक ott प्लैट्फॉर्म netflix पर एक फिल्म आती है “कटहल”, जो बहुत छोटे-छोटे सामाजिक मुद्दों पर प्रहार करती है। ऐसे मुद्दे जो आज़ादी के पहले से आज भी मारे बीच सिर उठाए घूम रहे हैं। चाहे वो जात-पात हो, या निम्न या असहाय वर्ग की समस्याओं को नज़रअंदाज़ करना, या फिर राजनीतिक रसूख का गलत इस्तेमाल करना। लेकिन धार्मिक कट्टरवाद के सामने शायद ये सब समस्याएँ छोटी हैं। फिल्में समाज का आईना होती हैं। समाज में जो कुछ घटित हो रहा है उससे प्रेरित होती हैं। फिल्ममेकर्स क्रिएटिव लिबर्टी लेकर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर भी पेश करते हैं। लेकिन आज जो अंधवाद चल रहा है, उसके पीछे चलने वाले लोगों को फिल्मों में केवल वो दिखता है जो वो देखना चाहते हैं और उन्हें फ़ैक्ट की तरह पेश करके लोगों को गुमराह भी करते हैं। खैर, कटहल में ऐसा कुछ नहीं है जिससे विभिन्न संगठन “quote” करके अपना अजेन्डा सेट कर सकें। इसलिए शायद ये फिल्म उन तक नहीं पहुँच पायी। यशोवर्धन मिश्रा द्वारा लिखित और सान्या मल्होत्रा के मुख्य किरदार वाली कठहल में हल्की-फुलकी कॉमेडी के बीच में आपको सामाजिक व्यंग्य भी मिलेंगे। फिल्म का प्लॉट एक विशेष प्रजाति के दो कटहलों की चोरी पर आधारित है। फिल्म में वो कटहल विजय राज के राजनैतिक करियर को बूस्ट करने के लिए बहुत ज़रूरी हैं। जिसके लिए पुलिस महकमे को उन्हें ढूँढने के पीछे लगा दिया जाता है। लेकिन ठहरिए, क्या पुलिस के पास चोरी हुए कटहल ढूँढने से ज़्यादा ज़रूरी काम नहीं है? ऐसे बहुत से सवाल और एक बड़ा ट्विस्ट इस फिल्म में मौजूद है। फिल्म का निर्देशन, आर्ट डिपार्ट्मन्ट की बारीकियाँ और कलाकारों का अभिनय दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ने में सफल हुए हैं।

आशुतोष द्विवेदी फिल्म में पुलिस इन्स्पेक्टर के किरदार में हैं

जबलपुर के कलाकारों से भरी हुई है फ़िल्म – फिल्म में संस्कारधानी के रघुबीर यादव, आशुतोष द्विवेदी, अंशुल ठाकुर, भगवान दास पटेल (बी.डी. भैया), बी. के. तिवारी भी मौजूद हैं। हालांकि चारों छोटे-छोटे किरदार के लिए फिल्म में नज़र आते हैं। लेकिन किरदारों के बिना फिल्में अधूरी होती हैं। रघुबीर यादव लंबे समय से हिन्दी सिनेमा में काम कर रहे हैं। उनका अभिनय हमेशा की तरह बढ़िया है। पुलिस अधिकारी के तौर पर आशुतोष अपनी छाप छोड़ने में सफल हुए हैं। वहीं अंशुल ठाकुर ने भी अपने किरदार में जान डालने के लिए जो मेहनत की है वो दिखाई देती है। दोनों ही जबलपुर की नाट्यकला संस्थाओं से लंबे समय से जुड़े रहे हैं। फिल्म में नेहा सराफ़, आराधना परस्ते भी हैं जिनका जबलपुर के थिएटर्स से जुड़ाव रहा है। साथ ही संगीत के क्षेत्र की जानी-मानी हस्ती डॉ. तापसी नागराज की भी इस फिल्म में झलक दिखाई देती है।

अंशुल ठाकुर (दाहिनी ओर), बाएँ ओर हैं सान्या मल्होत्रा

आदमी से आदमीयत दूसर कोसों हो गई है, हो सके तो इसकी हिफ़ाज़त कीजिए साब जी

उत्तर पश्चिमी दिल्ली के शाहबाद डेरी इलाके में हुई 16 वर्षीय लड़की कि निर्मम हत्या का विडिओ सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। आरोपी की गिरफ़्तारी भी हो चुकी है। विडिओ में देखा जा सकता है कि हत्यारा लड़की पर पहले चाकू से दर्जनों वार करता है और उसके बाद जब लड़की मरणासन्न स्थिति में पहुँच जाती है तो उसे लात मारता है। फिर पत्थर उठाकर उस पर पटकता है। इतनी निर्ममता की वजह से उस लड़की की मौके पर ही मौत हो जाती है। वहाँ सिर्फ उसकी मृत्यु नहीं हुई। उससे एक-दो फ़िट की दूरी पर मानवीय संवेदनाएँ भी दम तोड़ रहीं थीं। क्यूंकि उस चहल-पहल भरी गली में उन तमाम आते-जाते लोगों पर वो एक लड़का भारी था, जो उसकी हत्या कर रहा था। इस घटना के बाद राजनीतिक दल और संगठन इस मामले में धार्मिक रोटी सेंकने में लगे हुए हैं। लेकिन किसी ने ये नहीं कहा कि वो लोग जो वहाँ मौजूद थे उनकी रीढ़ की हड्डी में इतना दम नहीं था कि उस लड़के पर टूट पड़ते? लोग एक चाकू से इतने खौफ़ज़दा थे कि वो उससे लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाए? जो संगठन इस मामले को धार्मिक रंग देने में व्यस्त हैं उन्हें उस क्षेत्र में जाकर पहले लोगों का ज़मीर जगाना चाहिए। उन्हें ये बताना चाहिए कि अगर पड़ोस के घर में आग लगी है तो उस आग को बुझाना चाहिए, न कि खड़े होकर तमाशा देखना चाहिए। अपराधियों के हौसले इसलिए बुलंद हैं क्यूंकि उन्हें पता है कि यहाँ तमाशा देखने वालों की तादाद ज़्यादा है। अगर आप खुद तमाशबीन हैं तो आप मदद की उम्मीद किससे करेंगे? किसी और के साथ होने वाली घटना में आप मूक दर्शक बने खड़े हैं तो आप अपनी बारी में मदद की उम्मीद किससे करेंगे? किसी शायर का शे’र है जो शायद

आदमी से आदमीयत दूसर कोसों हो गई है,
हो सके तो इसकी हिफ़ाज़त कीजिए साब जी

मेरे पिताजी मेरा वाईफाई इस्तेमाल करते हैं,उन्हें कैसे रोकूँ?

कहते हैं कि यदि आप किसी चीज़ के बारे में नहीं जानते हैं तो आपको उससे संबंधित प्रश्न पूछना चाहिए। क्यूंकि जीवन भर अज्ञानी बने रहने से अच्छा है पाँच मिनट के लिए मूर्ख कहलाना। इसका मतलब इंसान को प्रश्न पूछना चाहिए लेकिन कोरा के ये प्रश्न पढ़ने के बाद आपको लगने लगेगा कि “लोग ऐसे भी सवाल पूछते हैं? ऐसे सवाल पूछने पर टैक्स लगना चाहिए।”

आगे बढ़ने से पहले आपको कोरा के बारे में बता देते हैं। कोरा इंटरनेट पर मौजूद एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो यूज़र्स को सवाल पूछने और दूसरे यूज़र्स को सवाल का जवाब देने के मौका देता है। लेकिन यूज़र्स कभी-कभी ऐसे सवाल पूछ लेते हैं कि आप सवाल को 5 बार पढ़ते हैं और इसके बाद आपको समझ आता है कि आपने सवाल एकदम सही पढ़ा है। कोरा में ऐसे काफी सवाल पूछे जाते हैं जो बेतुके होते हैं। लेकिन कुछ सवाल इस बेतुकेपन की हद को भी पार कर जाते हैं। जैसे ये सवाल, मैं 22 साल का हूँ और घर के वाईफाई (इंटरनेट) का भूटान भी करता हूँ। लेकिन मेरे पिता लगातार उस वाईफाई को इस्तेमाल करते हैं, कभी भुगतान नहीं करते। मैं उन्हें उसका भुगतान करने तक वाईफाई इस्तेमाल करने से कैसे रोकूँ? इस सवाल को पढ़कर आपके दिमाग में जो चलर यह है वो आप कॉमेंट्स में बताईयेगा लेकिन यूज़र्स ने इसका जो जवाब दिया वो हम आपको बताते हैं, एक यूज़र ने अपने जवाब में लिखा कि “क्या तुम अपने पेरेंट्स के घर पर रहते हो? अगर हाँ तो क्या तुम उन्हें घर का किराया देते हो?”, एक अन्य यूजर ने लिखा कि “जिस बिजली से उस वाईफाई का राउटर चलता है, क्या तुम उसका किराया देते हो? एक यूज़र ने लिखा कि “इधर तो मैं भुगतान करता हूँ और आस-पड़ोस के लोग भी यूज़ करते हैं”

एक अन्य यूज़र द्वारा ये प्रश्न भी पूछा गया “मेरे 12 वर्षीय पुत्र की मृत्यु स्वयं उसके द्वारा सांस रोकने से हो गई, क्यूंकि मैंने उसे उसके जन्मदिन पर एक ऑपटिमस प्राइम” खिलौना नहीं दिलवाया। अब मैं क्या करूँ? इस सवाल के जवाब पर कुछ यूज़र्स ने उसे झूठा कहा, किसी ने कहा स्वयं सांस रोककर मरना एक झूठी अवधारणा है और एक यूज़र ने प्रश्नकर्ता को सिलसिलेवार तरीके से नौकरी के लिए अप्लाय करने की सलाह भी दी। उसका कहना था कि इंटरनेट पर इस तरह के ट्रोल क्वेश्चन करने से अच्छा है कहीं जॉब कर लो।

इन प्रश्नों पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें और अगर आपके पास भी कोई सवाल है तो पूछिए।