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गुरूवार, अक्टूबर 30, 2025

भगवान नेमिनाथ जी को कराया नगर भ्रमण

जैन धर्म के 22 वें तीर्थंकर भगवान श्री नेमिनाथ जी के जन्म कल्याणक के उपलक्ष्य में प्रभु जी की रथयात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से गाजे बाजे के साथ निकाली गई। जगह-जगह समाज के श्रावक-श्राविकाओं ने गवली करके नगर भ्रमण पर निकले भगवान नेमिनाथ जी की आराधना की।

यात्रा में मुख्य भूमिका में उपस्थित रहे दिगंबर जैन पंचायत सभा के पंच सीए राजेश जैन ने भगवान नेमिनाथ के विवाह की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि श्रीकृष्ण भगवान नेमिनाथ के चचेरे भाई थे। भगवान श्रीकृष्ण ने नेमिकुमार का विवाह सावन के महीने में रचाने की तैयारी करवाई। इसके बाद भगवान नेमिकुमार की बारात सोरीपुर से जूनागढ़ जाती है। इस बारात में 56 करोड़ देवी-देवताओं और गंधर्व आदि शामिल हुए। बारात आगे बढ़ती है। बारात की खातिरदारी के लिए जूनागढ़ में सैकड़ों गायों को भूखा-प्यासा रखा जाता है। भगवान नेमिकुमार आगे बढ़ते हैं, तो उन्हें गायों की आवाज आती है। फिर वे गायों के पास जाते हैं और उनकी अवस्था को देखकर मन में विचार करते हैं कि हमारी शादी में इतने अधिक जीवों को कष्ट दिया जाएगा। इसके बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होती है और वे विवाह मंडप छोड़कर तप करने के लिए गिरनार शिखर पर्वत की ओर चल देते हैं और तप करते हैं। इसी त्याग और तप को आत्मसात करने के लिए यह सांकेतिक बारात निकाली जाती है।
इस यात्रा का आयोजन दिगंबर जैन पंचायत सभा, जैन नवयुवक सभा, समस्त जैन मंदिर समिति एवं सकल जैन समाज के द्वारा किया गया। जिसे सफल बनाने में विनय जैन, चक्रेश पन्नी, अनीष खलीफा, मिंकू जैन, मंजेश जैन सहित समस्त जैन बहनों और बंधुओ का योगदान रहा ।

चौथे दिन भी जारी रही सहकारी समितियों के कर्मचारियों की हड़ताल

मध्यप्रदेश सहकारिता कर्मचारी महासंघ भोपाल के आव्हान पर अपनी मांगो को लेकर दिनांक 16 अगस्त  से जिला ईकाई डिण्डौरी सहकारी समितियों के द्वारा कलमबंद अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से जिला के 44 सहकारी समितियां बंद हैं। इनके अंतर्गत जिले में लगभग 383 शासकीय उचित मूल्य दुकान की दुकानों के बंद होने से उपभोक्ताओं को पीडीएस के अंतर्गत खाद्यान्न वितरण नहीं हो पा रहा है साथ ही मध्यान्ह भोजन, सांझा चूल्हा का खाद्यान्न समूहों को नहीं मिलने से योजनाओं का संचालन नहीं हो पा रहा है। कृषि विभाग एवं विपणन के अतर्गत खाद एवं बीज का कार्य भी बंद पड़ा हुआ है। सहकारिता तथा जिला सहकारी बैंक के अंतर्गत केसीसी किसान कार्ड में जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण वितरण कार्य भी बंद है, समितियों के अंतर्गत जितने भी योजनाओं का संचालन किया जाता है वह सभी योजनाएं शासकीय है परंतु समितियों में कार्यरत कोई भी कर्मचारी शासकीय नहीं है। जबकि शासन की अधिकांश योजनाओं का संचालन सहकारी समितियों के द्वारा किया जाता है। सहकारिता कर्मचारियों के हड़ताल में चले जाने से उपभोक्ताओं को जो परेशानी हो रही है उसके लिए सहकारी संघ महासंघ ने खेद व्यक्त करते हुए अपनी मांगों की बारे में बताया है। जिसके अंतर्गत उन्होंने पैक्स कर्मचारी सेवा नियम 2019 एवं मार्च 2021 में गठित शासकीय कमेटी अनुसार संस्था समिति के कर्मचारियों का वेतनमान का लाभ दिये जाने की मांग की है। साथ ही जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों में समिति सहायकों से 60 प्रतिषत पद पर हो रही भर्ती/ पदोन्नति शीघ्र बिना किंतु परंतु के पूर्ण करने और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत कोरोना काल में शासन के द्वारा वर्ष 2020-21 में उपभोक्ताओं को खाद्यान्न का वितरण कराया गया उसकी वसूली को तत्काल रोकने के लिए भी कहा है। चौथे दिन की हड़ताल में समिति के अंबिका पाण्डे अध्यक्ष, अमित दुबे प्रदेश प्रतिनिधि, नंदकुमार साहू उपाध्यक्ष, घसीटा लाल साहू कोषाध्यक्ष, शेषमणि ठाकुर सचिव, भुनेश्वर साहू सहसचिव, शिवदयाल, शिव कुमार रजक, गंगा सिंह परस्ते, राघवेन्द्र दुबे, नरेश मरावी, महेन्द्र शर्मा, धीरज, हंसराज, रघुवर गौतम, ब्रजलाल रजक, अनवर खान, प्रमोद साहू, राजेष साहू, कुबेर सिंह चंदेल, बसंत बर्मन के साथ अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।

आर. डी. भारद्वाज और रविंद्र कुमार सिंह सहित जबलपुर के चार पुलिसकर्मियों को मिला के. एफ़. रुस्तमजी पुरुस्कार

जबलपुर की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखने और शहर में शांति कायम रखने में पुलिसकर्मियों का विशिष्ट योगदान है। कठिन काम और तनाव भरी दिनचर्या के बीच अपने कार्य में उत्कृष्टता दिखाना स्वयं में एक उपलब्धि है। इसी उत्कृष्टता को के. एफ़. रुस्तमजी पुरुस्कार से सम्मानित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा मध्य प्रदेश के 55 पुलिसकर्मियों की सूची जारी की गई है। ये पुरस्कार वर्ष 2021 के लिए दिए जा रहे हैं, इसमें जबलपुर से चार नाम शामिल हैं।

आर. डी. भारद्वाज (तत्कालीन नगर पुलिस अधीक्षक ओमती)

रविंद्र कुमार सिंह – कंट्रोल रूम प्रभारी

दीपक प्रधान, प्र. आर. 586, 6 वीं वाहिनी, वि. स. बल, जबलपुर

गौरव सिंह ठाकुर, आरक्षक, वि. शा. जिला जबलपुर

इसके अलावा सूची में वर्ष 2021 में भोपाल सायबर क्राइम की तत्कालीन उप पुलिस अधीक्षक रहीं नीतू ठाकुर विश्वकर्मा का भी नाम है जो वर्तमान में जबलपुर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के तौर पर पदस्थ हैं। इन सभी पुलिसकर्मियों को 50 हज़ार रुपये और प्रमाण पत्र दिया जाएगा। कंट्रोल रूम प्रभारी रविंद्र कुमार सिंह ने इस मौके पर हर्ष व्यक्त करते हुए प्राथमिक मीडिया को बताया कि उनके वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन और सहयोग से उन्हें यह पुरुस्कार मिला है और वो आगे भी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में बेहतर पुलिस सेवा देते रहेंगे।

कौन करता है चयन – जबलपुर से चार पुलिसकर्मियों का नाम के. एफ़. रुस्तमजी पुरुस्कार के लिए चुना जाना बेहद गौरव की बात है क्यूंकि इनका चयन राज्य स्तर पर किया जाता है। इन सभी का चयन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता वाली और गुप्तवार्ता, विशेष सशस्त्र बल और प्रशासन के पुलिस महानिरीक्षकों की सदस्यता वाली समिति द्वारा किया जाता है।

कौन थे के. एफ़. रुस्तमजी – के. एफ़. रुस्तमजी का पूरा नाम ख़ुसरो फ़रामुर्ज़ रुस्तमजी था। उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। वे सीमा सुरक्षा बल के प्रथम महानिदेशक थे। उन्होंने सुरक्षा में उन्नति और नई प्रगतियों को प्रोत्साहित किया और अपने प्रशासनिक कौशल से बल को मजबूती दी। उन्हें विशिष्ट बल का पहला बॉर्डरमैन भी कहा जाता है।

पद्म विभूषण के एफ़ रुस्तमजी

क्या है के. एफ़. रुस्तमजी पुरुस्कार – मध्य प्रदेश राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2013 से शुरू किए गये इस पुरस्कार का उद्देश्य पुलिस बल के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को दस्यु उन्मूलन अभियान, नक्सल विरोधी अभियान, सांप्रदायिक दंगों, कानून और व्यवस्था की गंभीर परिस्थितियों के नियंत्रण में अच्छा कार्य करने तथा कार्य निर्वहन के उच्च कोटि की वीरता का प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह पुरस्कार हर साल 1 अप्रैल से 31 मार्च(वित्तीय वर्ष) के बीच में किए जाने वाले कार्यों के लिए दिया जाता है।

तीन श्रेणियों में है पुरुस्कार – इस पुरुस्कार की तीन श्रेणियां हैं। जिसमें पहली परम विशिष्ट श्रेणी में पाँच पुलिसकार्मियों को 5 लाख रुपये अथवा रिवाल्वर, 12 बोर गन अथवा 315 बोर राइफल और प्रमाण पत्र दिया जाता है। दूसरी अति विशिष्ट श्रेणी में 2 लाख रुपये अथवा रिवाल्वर, 12 बोर गन अथवा 315 बोर राइफल तथा प्रमाण पत्र 6 पुलिसकर्मियों को दिया जाता है। तीसरी विशिष्ट श्रेणी में 50 हज़ार रुपये और प्रमाण पत्र 50 पुलिसकर्मियों को दिये जाते हैं।

साहब, छात्र हैं आतंकवादी नहीं !

कभी व्ही डी शर्मा ने भी भाजपा सरकार में ही झेलीं थी पुलिस की लाठियां ।
जबलपुर – NSUI पर कल हुए बर्बर लाठीचार्ज ने ज़ेहन में एक सवाल पैदा कर दिया कि छात्रों पर लाठियां बरसाते इन पुलिस कर्मियों के बच्चे क्या छात्र नहीं है या कभी इन्होंने छात्र जीवन नहीं जिया,जो इस बर्बरता से उन छात्रों को पीट रहे हैं जिनकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि ही नही है, पर दूसरी ओर आदेश को बिना प्रश्न मानना भी इन कर्मियों की शपथ और डयूटी का हिस्सा है।

छात्रों को पड़े डंडों के निशान

जबलपुर में NSUI के विरोध प्रदर्शन पर पुलिस के बर्बर रवैये ने हमें याद दिला दिया जब 2003 में उमा भारती की सरकार बनी ही थी और महाकौशल कॉलेज में प्रदर्शन के दौरान ABVP के कार्यकर्ताओं सहित अभी के प्रदेश अध्यक्ष व्ही.डी.शर्मा को पुलिस ने इस कदर पीटा था कि जामदार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था, हालांकि पिछली सरकार के ढर्रे पर सालों से चल रही पुलिस को जब तक गलती का एहसास हुआ तब तक देर हो चुकी थी, मुख्यमंत्री उमाभारती सहित सभी बड़े नेता अपने पिटे हुए कार्यकर्ताओं के हालचाल लेने भी पहुचे, थाना प्रभारी को लाइन हाजिर किया गया, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक उपेंद्र जैन जब अस्पताल पहुँचे तो उनसे धक्कामुक्की कर उनकी टोपी तक गिरा दी गई जिसके बाद कार्यकर्ताओं को कुछ सुकून मिला, जंहा तक मुझे याद है तब परिषद के नगर अध्यक्ष लालू श्रीवास्तव थे, अब के पार्षद बाबा श्रीवास्तव सहित रेलवे बोर्ड के सदस्य अभिलाष पाण्डे मात्र कार्यकर्ता थे, आंखों देखे हाल के अनुसार आज के सभी दिग्गज, व्ही.डी.शर्मा को छोड़ कर भाग खड़े हुए थे एवं अम्बेडकर नगर इकाई के गुमनाम कार्यकर्ताओं शेलेन्द्र शुक्ला,टोनी सोनकर, नील कमल तिवारी,अभिलेश कोरी,रंजीत सोनकर (तब के जी एस कॉलेज उपाध्यक्ष),अभिषेक सोनकर(टीटू), प्रशांत पाठक, ललित तिवारी, विपिन पटेल जैसे कई गुमनाम कार्यकर्ताओं ने उनको ढक कर उनके हिस्से की लाठियां झेलीं थी, जिसमे शेलेन्द्र शुक्ला की पीठ पर तो व्ही डी भाईसाहब को बचाने के कारण पुलिस ने भारत सहित अन्य देशों का नक्शा तक उभार दिया था,खैर परिवर्तन और शासन की कहानी बड़ी लंबी है पर इसका उद्देश्य है आपका रुझान इस ओर खींचने का कि सत्ता में बैठा हर एक शासक आखिर में हिटलर ही बन बैठता है और ट्रांसफर प्रमोशन के भार के नीचे दबी पुलिस उनकी कठपुतली बन मात्र नाचती दिखाई देती है।

राजनीति के गलियारों में कहा जाता है कि जब तक पुलिस लाठीचार्ज में पिटो नहीं तब तक नाम नही होता, पर यह तो दिल को तस्सल्ली देने ग़ालिब ख्याल अच्छा है, छात्रों पर बरसने वाली लाठियां तब डरी सहमी सी नज़र आती हैं जब शक्ति भवन को मुख्य धारा के नेताओं सहित विधायक घेर लेते हैं, उस समय इस्तेमाल होने वाली वाटर कैनन का पानी भी छात्रों के लिए खत्म हो जाता है और उन्हें सीधे लाठी से ही तितर बितर किया जाता है, सत्ता में बैठे हुए माई बाप सहित लाठी चलाने वाले भी किसी के पिता, चाचा, मामा, ताऊ हैं तो आखिर कैसे विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों को किसी दुर्दान्त अपराधी के तरह लाठियों से इस तरह पीटा जा सकता है कि किसी का लाल अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में आ जाये, प्रदेश के मामा होने का दम्भ भरने वाले क्यों इन भांजों से सौतेला व्यवहार कर देते हैं,क्या सत्तारूढ़ उस दर्द को भूल जाते हैं जो उन्होंने भी महसूस किया है या फिर बदला पूरा करना ही उनका सत्त्ता में आने का उद्देश्य था । युवा शक्ति को कमज़ोर समझना बहुत बड़ा भ्रम साबित हो सकता है क्योंकि देश का भविष्य बनाने वाला युवा सत्ता धारियों का भविष्य बिगाड़ भी सकता है, बस सत्ता में बैठे सभी एक बार इतना ही सोच लें कि साहब ये छात्र हैं आतंकवादी नही ।

इस लेख में प्रकाशित सभी विचार सह संपादक नील तिवारी के है जो उनके वास्तविक अनुभव से प्रेरित हैं।

इन नौ सवालों पर टिकी है आपके शहर की स्वच्छता रैंकिंग

स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के लिए सिटीजन फीडबैक की शुरुआत देश भर में हो चुकी है। हर शहर के महापौर अपने-अपने नागरिकों को फीडबैक देने के लिए निवेदन कर रहे हैं। इसी तारतम्य में जबलपुर शहर के महापौर जगत बहादुर सिंह ‘‘अन्नू’’ ने भी स्वच्छ सर्वेक्षण के मद्देनज़र है लोगों से अपील की है कि अपने घर के आस पास सफाई बनायें रखे, सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल ना करते हुए बाज़ार जाते समय कपडे़ से बने थैले का ही उपयोग करें और साथ में सिटीजन फीडबैक देने के लिए आप नीचे दिए गए क्यू आर कोड को स्कैन करे या https://sbmurban.org/feedback पर जाकर शहरहित में अपना फीडबैक जरुर दें।

स्वच्छ सर्वेक्षण टीम के साथ आज बैठक के दौरान उन्होंने बताया कि नागरिकों से 9 आसान सवालों का जवाब पूछा जायेगा, जिसका सकारात्मक जवाब देने पर शहर का मान बढ़ेगा। इसके अलावा सकारात्मक सुझाव देने के लिए नागरिकों के पास स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 की टीम पहुंचेगी जिनके द्वारा निर्धारित प्रपत्र में नागरिकों से सवाल किए जाएंगे और उनके जवाब दस्तावेज एवं डिजिटल माध्यम से पंजीकृत किए जाएंगे। फीडबैक के लिए फोन कॉल भी आएगा।

पूछे जाएंगे ये प्रश्न

  1. क्या आपके घर से प्रतिदिन कचरा संग्रहण किया जाता है?
  2. क्या आप कचरा संग्रहणकर्ता को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करके देते हैं?
  3. क्या आपके आस-पास की नाले-नालियां साफ दिखाई देती हैं?
  4. क्या आप जानते हैं कि शहर में रिसाईकल, रियूज एवं रिडयूज के प्रोत्साहन हेतु आर.आर.आर. केन्द्र संचालित हैं?
  5. क्या आपने हाल ही में आपके शहर के किसी भी सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालय का उपयोग किया है?
  6. क्या शहर के सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालय में साफ-सफाई है एवं रखरखाव किया गया है?
  7. क्या आप जानते हैं कि आपके आस पास स्थित सार्वजनिक शौचालय का डिजिटल गूगल मैप के माध्यम से पता लगाया जा सकता है?
  8. आपके आस पास की स्वच्छता पर आपकी क्या राय है?
  9. आपके शहर की सम्पूर्ण स्वच्छता पर आपकी क्या राय है?

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स ने भी माना जबलपुर नगर निगम का लोहा

स्वच्छता सर्वेक्षण में बेशक जबलपुर अपनी अव्वल रैंक बनाने में पिछड़ा रहा है लेकिन लंदन में भारत का प्रतिनिधित्व करने के मामले में संस्कारधानी ने बेंगलुरू और हैदराबाद जैसे शहरों को भी पीछे छोड़ दिया। जिसके चलते निगमायुक्त सहित उनके महकमे को लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के सेमीनार में स्मार्ट सिटी के नवाचार के बारे में विस्तारपूर्वक बताने और बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को बेहतर सुविधा देने का प्रशिक्षण मिला। इस सेमिनार में शामिल होने के लिए बेंगलुरू, हैदराबाद जैसे देश के 12 से ज्यादा शहरों और 120 देशों ने चार महीने तक ऑनलाइन प्रस्तुति दी थी। इसमें चयन सिर्फ जबलपुर का हुआ। 10 से 15 जुलाई तक चले प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश से एकमात्र शहर जबलपुर से शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

नौ देशों में भारत से सिर्फ जबलपुर – इस संबंध में निगमायुक्त स्वप्निल वानखड़े ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिकं के दौरान जबलपुर की उपलब्धियों की तस्वीरों और तथ्यों के जरिए अपनी बात रखी गई। जिसमें बस में लाइब्रेरी, स्मार्ट आंगनवाड़ी, वैक्सीनेशन सेंटर और उद्यानों में बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गों के लिए किए गए कार्यों को सुविधा की दृष्टि से बेहतर माना गया। उन्होंने बताया कि 9 देशों के दस शहर हुए शामिल जिसमें भारत, अमेरिका, ब्राजील, मैक्सीको, आइरलैंड, जोर्डन, पोलेंड, ग्रीक, कोसोवो के नाम शामिल थे। निगमायुक्त स्वप्निल वानखड़े, स्मार्ट सिटी सी.ई.ओ. चन्द्रप्रताप गोहल, और सहायक आयुक्त संभव अयाची ने प्रशिक्षण के दौरान विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्कारधानी के बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए नगर निगम और स्मार्ट सिटी के कार्यों को लंदन स्कूल ऑफ इकोनामिक्स में काफी सराहा गया है।

टॉप 10 शहरों में चुना गया जबलपुर का नाम – वानखड़े ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे नरचरिंग, नेबरहुड चैलेंज के अंतर्गत जबलपुर स्मार्ट सिटी ने शहर के उद्यान, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य उपचार केंद्र आदि में कई प्रकार के विकास कार्य कराए हैं। इस चैलेंज का मुख्य उद्देश्य 5 साल तक के बच्चों, वृद्धों और बच्चों व बृद्धों की सहायता करने वालों के किए ऐसा वातावरण तैयार करना है, जहां वे सुरक्षित महसूस कर आसानी से खेल-कूद सकें। स्मार्ट सिटी को इस कार्य के लिए देश के टाप 10 शहरों में चुना गया है।

नगर निगम के सभी 79 वार्डो में व्यवस्थित पार्क की सुविधा उपलब्ध कराने रहेगी कोशिश – आयुक्त स्वप्निल वानखड़े ने बताया कि इस प्रशिक्षण में जबलपुर स्मार्ट सिटी के प्रयासों को सराहा गया। लंदन के अर्बन 95 के तत्वावधान में आयोजित हुए इस सेमिनार में मनमोहन नगर, दमोहनाका, क्षेत्रों के उद्यान, अनुपयोग बस में लाइब्रेरी, बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गो के लिए किए गये प्रयासों को सराहा गया। वानखड़े ने कहा कि नगर निगम के सभी 79 वार्डो में एक-एक व्यवस्थित पार्क बनाकर क्षेत्रीय नागरिकों को बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध कराने की शीघ्र कोशिश की जायेगी।

पार्को और वैक्सीनेशन सेन्टर की विशेष सुविधाओं की भी लंदन की गई सराहना – निगमायुक्त स्वप्निल वानखड़े एवं स्मार्ट सिटी के सीईओ चंद्र प्रताप गोहल ने जानकारी देते हुए बताया कि पार्को और बस स्टैण्ड जैसे स्थानों पर सुविधाएँ मिले, इस प्रशिक्षण का यही उद्देश्य था। स्कूलों से निकलकर बच्चों, आसानी से चल सके इस पर विदेशों से आए विशेषज्ञों ने अपनी बात रखते हुए बताया कि बच्चों एवं बुजुर्गो की खुशी और उत्तम स्वास्थ्य के लिए की गई व्यवस्था से प्रसन्न होकर प्रशिक्षण में आये हुए सभी विशेषज्ञों ने सराहना की।

सहारा की सहकारी समितियों में फंसा आपका पैसा ऐसे मिलेगा

आपका पैसा भी सहारा समूह की सहकारी समितियों में फंसा है? कैसे मिलेगा ये पैसा वापिस? इन सवालों का समाधान करने के लिए मंगलवार को ओर से सीआरसीएस-केन्द्रीय पंजीयक सहारा रिफंड पोर्टल शुरू किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कल दिल्ली में इस पोर्टल की शुरुआत की है। जिसके ज़रिए सहारा समूह से जुड़े करोड़ों जमाकर्ताओं को अपना पैसा वापस दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

क्या है ये पोर्टल – सीआरसीएस- केन्द्रीय पंजीयक सहारा रिफंड पोर्टल सहारा समूह की सहकारी समितियों के करोड़ों जमाकर्ताओं के लिए रिफंड प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत सरकार ने शुरू किया है।

कैसे काम करेगा ये – ये पोर्टल जमाकर्ताओं को 5000 करोड़ रुपये तक वितरित करेगा। प्रत्येक जमाकर्ता पहले चरण में अधिकतम 10,000 रुपये प्राप्त कर पाएगा। शुरुआत में परीक्षण के आधार पर निवेशकों को 10,000 रुपये लौटाए जाएंगे, परीक्षण सफल होने पर रिफंड की राशि बढ़ायी जाएगी।

दावा करने की क्या हैं शर्तें? – पोर्टल के ज़रिए रिफंड का दावा करने के लिए जमाकर्ताओं को दो शर्तें पूरी करनी होंगी। पहला, उनका आधार उनके मोबाइल नंबर और बैंक खातों से जुड़ा होना चाहिए। दूसरा, उन्हें रसीद विवरण प्रदान करना होगा और एक फॉर्म भरना होगा, जिसका प्रिन्ट लेकर उस पर फोटो लगाने और हस्ताक्षर करने के बाद पोर्टल पर फिर से अपलोड करना होगा। पोर्टल की प्रक्रिया में सफलतापूर्वक दावा दाखिल करने की तारीख से 45 दिनों के अंदर दावेदारों के बैंक खातों में पैसा जमा किया जाएगा।

सीआरसीएस-केन्द्रीय पंजीयक सहारा रिफंड पोर्टल का उद्देश्य क्या है? – इसका उद्देश्य सहारा समूह की सहकारी समितियों के सदस्यों के हितों की रक्षा करना है। यह जमाकर्ताओं के वास्तविक दावों को हल करेगा, जिन्होंने सहारा की इन सहकारी समितियों जैसे सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड, हुमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड में पैसा निवेश किया था। पोर्टल इन जमाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक उनके वैध बकाया प्राप्त करने में सहयोग करेगा।

कैसे भरें जानकारी? – जानकारी भरना बेहद आसान है जिसे हम चरण-दर-चरण यहाँ दिखा रहे हैं। सबसे पहले वेब ब्राउजर के अड्रेस वाले सेक्शन में www.mocrefund.crcs.gov.in टाइप करें। jइस साइट के खुलने के पश्चात आपको पहला पृष्ठ ऐसा दिखाई देगा।

इसके बाद अगर आप पहली बार पोर्टल का उपयोग कर रहे हैं और आपने अपनी जानकारी इसमें दर्ज नहीं की है तो आपको सबसे पहला अपना पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए आपको जमाकर्ता पंजीकरण वाले सेक्शन पर क्लिक करना होगा। पोर्टल में पंजीकरण निःशुल्क है, यानि ऑनलाइन किसी तरह का शुल्क देने की आवश्यकता नहीं है।

इसके बाद आपको अपने आधार पंजीयन संख्या के आखिरी चार अंक और आधार से लिंक आपका मोबाईल नंबर इसमें दर्ज करना है। याद रखिए ये मोबाईल नंबर चालू हो और आपके पास हो क्यूंकि इसमें आगे otp की आवश्यकता भी आपको पड़ेगी।

इसके बाद मोबाईल पर आए otp को दर्ज करें

अब जमाकर्ता लॉग इन वाले सेक्शन में क्लिक करें

अब दुबारा अपने आधार पंजीयन संख्या के आखिरी चार अंक और आधार से लिंक आपका मोबाईल नंबर इसमें दर्ज करें

इसके बाद मोबाईल पर आए otp को दर्ज करें

इसके बाद स्क्रीन में दिखायी गई जानकारी को ठीक से पढ़कर अपनी सहमति प्रदान करें

इसके बाद आगे की जानकारी को सावधानी से भरें

फ़र्जी दस्तावेज़ों पर बाइक फायनेंस करवाते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई महिला

सिहोरा, रविवार दोपहर सिहोरा थाना अंतर्गत निजी बाइक शोरूम में एक महिला फर्जी दस्तावेज़ों के साथ बाइक फायनेंस कराने पहुंची। जहाँ श्रीराम फायनेंस के एक कर्मचारी ने सूझबूझ दिखाते हुए उसे पकड़ा और सिहोरा पुलिस को सौंप दिया। रविवार की शाम से महिला को सिहोरा थाने में ऊर्जा डेस्क की महिला पुलिसकर्मियों की निगरानी में ही रखा गया लेकिन उसके बाद भी सिहोरा पुलिस आज दोपहर तक महिला का असली नाम भी पता नहीं लगा सकी। सिहोरा थाना प्रभारी गिरीश धुर्वे के मुताबिक पुलिस अभी आरोपों की जांच करने में जुटी है इसलिए महिला को सोमवार की दोपहर जाने दिया गया।

कैसे पकड़ी गई महिला – महिला अपने पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक चेक बुक और पास बुक समेत निजी बाइक शोरूम पहुंची। थाने में दी गई लिखित शिकायत के मुताबिक उसके साथ प्रशांत कुशवाहा नामक एक लड़का भी था जिसने दो और बाइक पहले से फायनेंस करवा रखी हैं। फायनेंस कंपनी के कर्मचारी को दस्तावेज़ों की जांच के दौरान आधार कार्ड नंबर से समग्र आई डी न मिलने पर शक हुआ। जिससे उसे दस्तावेज़ फर्जी होने की शंका हुई। इसके बाद उसने फायनेंस प्रक्रिया रोक दी और फिर उसके द्वारा पूछताछ करने पर आरोपी का नाम उसे सुनीता बैरागी पता चला जबकि उसने दस्तावेज़ खुशबू कोल के नाम से जमा किए हैं। इसके बाद सिहोरा पुलिस को घटना की जानकारी दी गई।

पहले मदन महल में और अब सिहोरा में कांड – शिकायतकर्ता के मुताबिक ये दोनों पहले भी एक साथ मिलकर मदनमहल थानांतर्गत एक अन्य फायनेंस कंपनी को भी चूना लगा चुके हैं। उन्होंने यहाँ एक कंपनी के दुपहिया वाहन को भी फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए फायनेंस करवाया है। वहीं सिहोरा में प्रशांत कुशवाहा ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दो बाइक अलग-अलग लोगों के नाम पर फायनेंस करवा रखी हैं। सोचने वाली बात ये है कि इनके हौसले इतने बुलंद कैसे हैं कि एक मामले में नाम आने के बाद दूसरे फर्जीवाड़े को भी इतनी आसानी और निडरता से अंजाम देने चले थे!

आपराधिक वारदातों में ऐसी ही गाड़ियों का होता है इस्तेमाल – अभी तक फायनेंस हुई गाडियाँ नकली लोगों और नकली पते के नाम पर दर्ज हैं। ऐसी गाडियों का इस्तेमाल अक्सर बड़े-बड़े अपराधों जैसे लूट और हत्या से लेकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में होता है। देश के अलग-अलग राज्यों में फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाने वाले गिरोह, उनके ज़रिए सिम लेने वाले गिरोह और गाड़ी फायनेंस करवाने वाले गिरोहों को पकड़ा जा चुका है। लेकिन यहाँ इस मामले को पुलिस बेहद गंभीरता से नहीं ले रही है। यहाँ तक कि कंपनी के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि फायनेंस ऑफिस के दफ्तर में कुछ लोग आरोपियों की ओर से “सेटलमेंट” करवाने के लिए चक्कर लगाते रहे। साथ ही कुछ लोगों ने अनैतिक दबाव बनाकर मामले को रफा-दफा करवाने की भी भरपूर कोशिश की है।

छोटी बजट की अच्छी फ़िल्मों को दर्शक और स्क्रीन दिलवाने पंचकृति के मेकर्स कर रहे हैं अनूठा प्रयास

निर्माता हरिप्रिया भार्गव और निर्देशन संजाॅय भार्गव की फिल्म ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ पांच अलग-अलग कहानियों पर आधारित है, जो आपस में संबंधित है। इसे चंदेरी जैसे छोटे से शहर की पृष्ठभूमि में स्थापित किया गया है। यह फिल्म एक मिश्रित कहानियों को कहने का एक अनोखा और साहसिक मार्ग है। इस कथा के मूल में बुन्देलखंड का चंदेरी नामक एक छोटा सा शहर है, जो भारत के मध्य प्रदेश राज्य में फैला एक पहाड़ी इलाका है। बुन्देलखण्ड अपनी भौगोलिक सुंदरता और समृद्ध संस्कृति के लिए लोकप्रिय है। फिल्म की पांच कहानियां वास्तविक घटनाओं पर आधारित हैं। इस फिल्म के मेकर्स के मुताबिक इस फिल्म की कहानी विचारोत्तेजक है, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी साथ ही फिल्म देखने पर मालूम चलेगा कि इसमें दर्शकों के लिए एक सरप्राइज है। हालांकि अभी तक फिल्म का मोशन पोस्टर और एक गाना ही यूट्यूब पर जारी किया गया है। अभी तक इसके ट्रेलर रिलीज़ और फिल्म रिलीज़ की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है।

दर्शकों की सोच से आगे होंगे पुरुस्कार – आयएमडीबी के मुताबिक 4 अगस्त 2023 को फिल्म के रिलीज़ की संभावना है। मेकर्स के मुताबिक रिलीज़ के बाद फिल्म ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ के प्रचार-प्रसार करने के लिए लकी ड्रॉ के ज़रिए आकर्षक पुरस्कार वितरित किये जाएंगे। इसके भाग्यशाली दर्शकों को रचनात्मक और सुस्वादु सामग्री का आनंद लेने का मौका मिलेगा। जिसमें भारत की समृद्ध ग्रामीण सांस्कृतिक विरासत और गौरव की सच्ची झलक होगी। मेकर्स के अनुसार हर स्क्रीनिंग में तीन लकी ड्रा और बम्पर पुरस्कार जीतने का अवसर दर्शकों को प्राप्त होगा। कुछ पुरस्कार उनकी पहुंच और सोच से ज्यादा आकर्षक होंगे।

अच्छी फिल्मों के प्रदर्शन को बढ़ावा देने प्रयास – निर्माताओं ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में एक नया कीर्तिमान बनाने वितरकों, थिएटर मालिकों, उत्पाद निर्माताओं और दर्शकों के साथ मिलकर नया काम किया है। निर्माताओं को आशा है कि इस प्रयास से पूरे विश्व के सिनेमाओं में नया बदलाव आएगा।इस फिल्म से पूरे परिवार के साथ मनोरंजन का आंनद और सिनेमा की जादुई दुनियां को देखने का बढ़ावा मिलेगा। छोटे बजट के असाधारण कंटेंट निर्माताओं और अद्भुत क्षेत्रीय प्रतिभाओं को एक नया और योग्य स्थान मिलेगा। यह अभियान उन वितरकों और स्क्रीन मालिकों के बीच विश्वास हासिल करने और आत्मविश्वास बढ़ाने का प्रयास करता है जो अच्छी फिल्मों का प्रदर्शन करने में स्वाभाविक रूप से झिझकते हैं।

क्या है पंचकृति – बृजेन्द्र काला फिल्म के मुख्य पात्रों में से एक हैं। काला कहते हैं कि ‘पंचकृति – फाइव एलिमेंट्स’ में कई लोकप्रिय और बड़े कलाकार शामिल है। पांच अलग-अलग कहानियों को अनावश्यक तत्वों के बिना, रचनात्मक रूप से एक सकारात्मक पारिवारिक-मनोरंजन फिल्म में एक साथ पिरोया गया है। यह फिल्म मानसून सीज़न में भारत भर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी। निर्माता, निर्देशक और प्रमोटर देशभर में व्यापक स्तर पर कार्य कर रहे हैं।

क्या कहते हैं इसके निर्माता-निर्देशक – इस अनूठी फिल्म का निर्देशन संजाॅय भार्गव ने किया है। संजाॅय कहते हैं कि हम फिल्म के माध्यम से अपनी भारतीय परंपरा और संस्कृति पर एक विशेष संदेश देना चाहते हैं जो सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन विरासत को प्रतिबिंबित करती है। फिल्म की सभी पांच कहानियां हमें सोचने पर विवश कर देगी कि हम अपने भारतीय पारंपरिक दैनिक जीवन में कहाँ और कैसे रहते हैं? और क्या करते हैं? यह मानवीय है और किसी भी अंधविश्वास पर आधारित नहीं है। फिल्म में अनुभवी कलाकारों को लिया गया है, कहानी का फिल्मांकन करते समय फिल्म को प्रभावी और सशक्त बनाने के लिए और अभिनय को वास्तविक रूप प्रदान करने के लिए बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पडा है। फिल्म की निर्माता हरिप्रिया भार्गव का कहना है कि उन्होंने हमारी समृद्ध विरासत, रीति-रिवाजों, परंपराओं और भारतीय ग्रामीण जीवन शैली से प्रभावित होकर यह कहानी बनाई है। वह आगे कहती हैं कि यह फिल्म भारत के दूर दराज क्षेत्रों में रहने वाले उभरते प्रतिभाशाली कलाकारों को काम करने का मौका और नई पहचान दिलाती है। जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं भी शामिल होती हैं जो दिल से इस कन्टेन्ट का समर्थन करती हैं। साथ ही फिल्म प्रचार की रणनीति थिएटर मालिक और वितरकों को भी मौका देती है। हरिप्रिया बेहद खुश हुई कि इस फिल्म की कुछ कहानी महिलाओं पर केंद्रित है। फिल्म ‘पंचकृति फाइव एलिमेंट्स’ प्रेम से अभिभूत और हृदय को छू लेने वाले आध्यात्मिक गीतों का समावेश है। संगीत राजेश सोनी द्वारा रचित है।

अस्वीकरण – फिल्म के लकी ड्रॉ से प्राथमिक मीडिया या इससे जुड़े लोगों का कोई संबंध नहीं है। समाचार में फिल्म मेकर्स के दावे को पेश किया गया है। जिसकी प्राथमिक मीडिया पुष्टि नहीं करता। फिल्म देखने जाने से पूर्व फिल्म मेकर्स के दावों की पड़ताल करें एवं अपने विवेकानुसार निर्णय लें। फिल्म देखने से हुए लाभ या हानि के लिए प्राथमिक मीडिया ज़िम्मेदार नहीं होगा

तारक मेहता की रोशन सोढ़ी नज़र आएंगी जबलपुर में शूट की हुई लोरी में

आज के दौर में जहां लोग बच्चों को लोरी सुनाने की बजाय मोबाइल पर आने वाले राइम्स सुनाती हैं, उस दौर में लोरी निन्नी रानी आ जाना की लाइन देशभर में पसंद की जा रही है। कुछ ही समय में इस लोरी को लोगों ने खूब सराहा है और मिलियंस व्यूज दिए हैं। बच्चों को परम्परा और ममता की डोर से जोड़ने का यह प्रयास केएसटी मेलोडीज़ के बैनर द्वारा किया गया है। इस लोरी के गीतकार और प्रोड्‌यूसर हैं कामेश्वर सिंह ठाकुर, और गायिका हैं तृप्ति शाक्या। लोरी का दृश्यांकन परिकल्पना और संगीत जबलपुर के संगीतकार सचिन उपाध्याय और आर्ट डायरेक्शन हर्षित झा ने किया है। पर्दे पर लोरी में जबलपुर की रहने वाली जेनिफ़र मिस्त्री बंसीवाल उर्फ रोशन सोढ़ी (तारक मेहता का उल्टा चश्मा फेम), आत्मानंद श्रीवास्तव, बेबी त्वरिता तथा डॉ. संदीप, भगत ने भूमिका निभाई है। जबलपुर शहर के ही मधुकर हिरसकर (लाइट एवं कैमरा सहयोग), लता सिंह (मेक अप/ हेयर स्टाइलिंग) उपासना उपाध्याय, कौतुकी उपाध्याय (कोट्यूम एवं प्रोडक्शन) में सहयोगी रहे। लोरी के दृश्यांकन में मेडिओको हॉस्पिटल, सौरभ जैन, पवन जैन, राजेश दीवान एवं मयूर बंसीवाल का विशेष सहयोग रहा।