26.3 C
Delhi
बुधवार, सितम्बर 3, 2025
होम ब्लॉग पेज 17

“टू-फिंगर टेस्ट” महिला की गरिमा और निजता का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट

0

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बलात्कार की पुष्टि के लिए ‘टू-फिंगर टेस्ट’ को महिला की गरिमा और निजता का उल्लंघन करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह से परीक्षण को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और अधिकारयों से इस तरह के टेस्ट करने पर कड़ा ऐक्शन लेने को कहा है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने झारखंड हाई कोर्ट द्वारा एक बलात्कार और हत्या के दोषी को बरी करने के फैसले को पलटते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बलात्कार पीड़िताओं की जांच के लिए दो अंगुलियों की जांच की प्रथा अभी भी समाज में प्रचलित है।

पीठ ने इस परीक्षण को महिलाओं की गरिमा के खिलाफ बताते हुए कहा, “टू-फिंगर टेस्ट एक महिला की निजता का उल्लंघन है। योनि की शिथिलता का परीक्षण करने वाली प्रक्रिया महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है। यह नहीं कहा जा सकता है कि एक यौन सक्रिय महिला का बलात्कार नहीं किया जा सकता है।”

कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों को कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि राज्यों के डीजीपी और स्वास्थ्य सचिवों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि ‘टू-फिंगर टेस्ट’ न हो। शीर्ष अदालत ने कहा कि टू-फिंगर टेस्ट कराने वाले किसी भी व्यक्ति को कदाचार का दोषी माना जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र और राज्य के स्वास्थ्य सचिवों को सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के पाठ्यक्रम से टू-फिंगर टेस्ट पर अध्ययन सामग्री को हटाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया।

क्या है टू फिंगर टेस्ट? – जैसा कि नाम से ही स्पष्ट कि दो उंगलियां वाला टेस्ट। इसमें पीड़‍िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर उसकी वर्जिनिटी टेस्‍ट की जाती है। यह टेस्ट इसलिए किया जाता है ताकि इससे पता चल सके कि महिला के साथ शारीरिक संबंध बने थे या नहीं।

हालांकि 2013 में भी सुप्रीम कोर्ट ने टू-फिंगर टेस्ट को असंवैधानिक माना था। कोर्ट ने कहा था कि यह शारीरिक और मानसिक चोट पहुंचाने वाला टेस्‍ट है।

क्या है इस टेस्ट का वैज्ञानिक आधार – इस टेस्टिंग का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। विज्ञान का मानना है कि महिलाओं की वर्जिनिटी में हाइमन के इनटैक्‍ट होने से साबित नहीं होता है कि बलात्कार हुआ है या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (31 अक्टूबर) को बलात्कार के मामलों में “टू-फिंगर टेस्ट” करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इसे अपराध की श्रेणी में रखा है। ऐसा करने वालों को दोषी माना जाएगा। हालांकि कोर्ट ने इस बाबत पहले भी आदेश जारी किया था।

पहले ये धाराणा थी कि अगर प्राइवेट पार्ट में आसानी से दोनों उंगलियां चली गई तो ये माना जाता है कि महिला ने सेक्स किया है। इसे ही महिला के वर्जिन होने या वर्जिन न होने का भी सबूत मान लिया जाता है।

कब शुरू हुआ था – इस परीक्षण की शुरुआत 1898 में एल थोइनॉट ने की थी। इस टेस्ट के अंतर्गत कहा गया कि सहमति के साथ बनाये गये यौन संबंधों में हाइमन लचीलेपन की वजह से टूटता नहीं है, जबकि जबरन बलात्कार करने से यह टूट जाता है।

लड़कियां जब पहली बार शारीरिक संबंध बनाती हैं तो हाइमन टूटने की वजह से उनकी योनि से खून बहने लगता है। लेकिन ऐसा हमेशा हो ये आवश्यक नहीं है। कुछ महिलाओं के कसरत करते हुए या खेलकूद करते हुए भी हाइमन अक्सर पहले ही टूट जाता है।

कार्तिक पक्ष में हुआ तुलसी परिक्रमा, कृष्ण रास का आयोजन


जबलपुर, सखी सहेली ग्रुप सोनकर समाज के द्वारा भानतलैया स्थित त्रिमूर्ति मंदिर में आज कार्तिक पक्ष के अवसर पर महिलाओं द्वारा तुलसी परिक्रमा के साथ ही रास का आयोजन किया गया। जिसमें महिलाओं ने कृष्ण राधा बनकर जीवंत रास का आनंद लिया ग्रुप की दीपमाला सिलावट ने बताया कि महिलाओं के ग्रुप द्वारा इसी तरह धार्मिक एवं सामाजिक आयोजन किये जाते हैं ताकि समाज मे महिला बहनों का योगदान बढ़ता रहे।

भारत परिवहन विमानों का प्रमुख निर्माता बनेगा : पीएम

प्रधानमंत्री ने वडोदरा में सी-295एमडब्ल्यू परिवहन विमान विनिर्माण परियोजना की आधारशिला रखी

वडोदरा, भारत कम लागत से गुणवत्तापूर्ण विनिर्माण क्षमता, वैश्विक-मानक प्रतिस्पर्धी माहौल और व्यापार सुगमता के साथ वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है। साथ ही यह परियोजना आत्मानिर्भर भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मील का पत्थर साबित होगी। गुजरात के वडोदरा में सी-295एमडब्ल्यू परिवहन विमान विनिर्माण परियोजना की आधारशिला रखने के बाद प्रधानमंत्री ने ये कहा।

उन्होंने आगे कहा कि मेक इन इंडिया पहल से देश, परिवहन विमान बनाने की क्षमता हासिल कर लेगा और भविष्य में यात्री विमान भी बना सकेगा। मोदी ने कहा कि यह परियोजना 25 बिलियन डॉलर के रक्षा उत्पादों के विनिर्माण और पांच बिलियन डॉलर के रक्षा उत्पादों के निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी। और वडोदरा में बनने वाले परिवहन विमान न केवल सेना को सशक्त बनाएंगे, बल्कि देश में विमान निर्माण के लिए एक नया तंत्र भी स्थापित करेंगे।

मोदी ने कहा कि भारत का विमानन क्षेत्र दुनिया में सबसे तेजी से विकास कर रहे विमानन क्षेत्रों में से एक है। भारत जल्द ही हवाई यातायात के मामले में शीर्ष 3 देशों की सूची में प्रवेश करने वाला है। उन्होंने कहा कि आने वाले 10 से 15 वर्षों में, देश को दो हजार से अधिक यात्री और मालवाहक विमानों की आवश्यकता होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में आज आर्थिक सुधारों की एक नई गाथा लिखी जा रही है। पिछले आठ वर्षों में सरकार देश में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए व्यापार सुगमता पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि नया भारत नई मानसिकता और कार्य संस्कृति के साथ बढ़ रहा है जो देश के विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करती हैं। उन्होंने निजी क्षेत्र से, देश में निजी भागीदारी के लिए बनाए जा रहे सकारात्मक माहौल का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आग्रह किया।

मोदी ने कहा कि भारतीय विनिर्माण क्षेत्र दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है। सेमीकंडक्टर्स से लेकर विमान तक हर चीज का निर्माण देश में हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले आठ वर्षों में 160 से अधिक देशों से भारी निवेश आकर्षित किया है जिससे अर्थव्यवस्था के 60 से अधिक क्षेत्रों को लाभ हुआ है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह देश के लिए गर्व की बात है कि ये विमान निर्माण सुविधा निजी क्षेत्र स्थापित कर रहा है। उन्होंने इस पल को भारतीय रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता की यात्रा में मील का पत्थर बताया। इस अवसर पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, टाटा समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नटराजन चंद्रशेखरन और एयरबस के क्रिस्टियन शेरर मौजूद थे।

ज्ञात हो कि सी-295एमडब्ल्यू परिवहन विमान विनिर्माण परियोजना, लगभग 22,000 करोड़ रुपये की भारत की पहली परिवहन विमान परियोजना होगी। भारत में निजी कंपनियों, एयरबस डिफेंस और टाटा कंसोर्टियम सी-295एमडब्ल्यू परिवहन विमान का विनिर्माण करेंगे। भारत, परिवहन विमान विनिर्माण क्षमता वाला 12वां देश होगा।

124 करोड़ का बकाया बिजली बिल नहीं जमा कर रहे उपभोक्ता

फाइल फोटो :-

उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार द्वारा सौभाग्य योजना के तहत उपभोक्ताओं को निशुल्क बिजली कनेक्शन प्रदान किए गए थे परंतु आज एक कनेक्शन केंद्र सरकार के लिए गले की हड्डी बन गए जिसे ना भुला जा रहा है ना निगला जा रहा है, उपभोक्ता द्वारा बिजली का बिल जमा नहीं किया जा रहा है। जिससे विद्युत विभाग को काफी नुकसान हो रहा है इससे विद्युत विभाग बहुत ही ज्यादा परेशान है.

करीब पांच वर्ष पहले केंद्र सरकार ने सौभाग्य योजना के तहत 48 हजार 840 उपभोक्ताओं को निशुल्क बिजली कनेक्शन दिया था। बीपीएल उपभोक्ताओं का कनेक्शन पूरी तरह मुफ्त था जबकि एपीएल उपभोक्ताओं को कनेक्शन तो उस समय मुफ्त दिया गया लेकिन बाद में 10 माह तक 50 रुपये प्रतिमाह की दर से कनेक्शन चार्ज का भुगतान करना था।
दोनों तरह के उपभोक्ताओं के घरों पर मीटर लगाया गया था जिससे उनके द्वारा उपभोग की जाने वाली बिजली का बिल समय से वसूला जा सके। कमजोर वर्ग के लोगों को निशुल्क कनेक्शन देने के पीछे सरकार की मंशा थी कि इससे बिजली की चोरी रुकेगी और पावर कार्पोरेशन का राजस्व भी बढ़ेगा। साथ ही कमजोर वर्ग के उपभोक्ता भी बिजली का उपयोग वैध तरीके से कर सकेंगे।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में प्रत्येक उपभोक्ता का पांच वर्षों में करीब 25 से 30 हजार रुपये का बकाया हो चुका है। इन सभी उपभोक्ताओं पर लगभग 124 करोड़ रुपये के बिजली बिल का बकाया लंबित हो गया है। लगातार ऐसे उपभोक्ताओं को बकाया भुगतान के लिए कहा जा रहा है। नियमित बिल भी भेजा जा रहा है लेकिन भुगतान नहीं मिल पा रहा है

मोरबी में पुल टूटने से 100 से ज्यादा लोगों की मौत

गुजरात के मोरबी शहर में रविवार की शाम माच्छू नदी पर बना केबल पुल टूटने से कम से कम 80 व्यक्तियों की मौत हो गई। यह पुल करीब एक सदी पुराना था और मरम्मत के बाद हाल ही में इसे लोगों के लिए खोला गया था। हाल ही में मरम्मत के बाद जनता के लिए चार दिन पहले ही खोले गए इस पुल पर लोगों की काफी भीड़ थी। पुल शाम करीब साढ़े छह बजे टूट गया।
मोरबी सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ प्रदीप दुधरजिया ने कहा, मोरबी केबल पुल टूटने से कम से कम 80 लोगों की मौत हो गई है। हमारे अस्पताल में अब तक कई शव लाये गए हैं। गुजरात के मंत्री बृजेश मेरजा ने पुष्टि की कि हादसे में करीब 80 लोगों की मौत हुई है। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि जब पुल टूटकर गिरा तब उस पर कई महिलाएं, बच्चे और अन्य लोग थे, जो नीचे पानी में गिर गए।
दीपावली की छुट्टी और रविवार होने के कारण प्रमुख पर्यटक आकर्षण पुल पर पर्यटकों की भीड़ उमड़ी हुई थी।
एक निजी संचालक ने लगभग छह महीने तक पुल की मरम्मत का काम किया था। पुल को 26 अक्टूबर को गुजराती नववर्ष दिवस पर जनता के लिए फिर से खोला गया था।

घटना के बाद रेस्क्यू टीमें रवाना
गुजरात सीएमओ ने बताया कि भारतीय नौसेना के 50 कर्मियों के साथ एनडीआरएफ (NDRF) के 3 दस्तें, भारतीय वायुसेना के 30 जवानों के साथ बचाव और राहत अभियान के लिए सेना के 2 कॉलम और फायर ब्रिगेड की 7 टीमें राजकोट, जामनगर, दीव और सुरेंद्रनगर से उन्नत उपकरणों के साथ मोरबी के लिए रवाना हुई। एसडीआरएफ (SDRF) की 3 और राज्य रिजर्व पुलिस के 2 दस्तें भी बचाव और राहत कार्यों के लिए पहुंच रही हैं।


मुआवजे का किया एलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे में जान गंवाने वालों में से प्रत्येक के परिजनों के लिए पीएमएनआरएफ से 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50 हजार रुपये अनुग्रह राशि की घोषणा की है। गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने भी राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक मृतक के परिवार को 4 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये देने का एलान किया है।

मामला दर्ज – गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने घटनास्थल का दौरा किया। इसके अलावा पुल प्रबंधन टीम पर आईपीसी की धारा 304, 308 और 114 के तहत मामला भी दर्ज कर लिया गया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल के अनुसार घायलों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है और कुछ को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है। अभी भी खोज और बचाव अभियान जारी है।

अरविंद केजरीवाल ने जताया दुख
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी इस हादसे पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट किया कि, “गुजरात से बेहद दुःखद खबर मिल रही है. मोरबी में ब्रिज टूट जाने से कई लोगों के नदी में गिर जाने की खबर है। भगवान से उनकी जान और स्वास्थ्य की प्रार्थना करता हूं।”
दमकल विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि लोगों को नदी से निकालने के लिए नावों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, हम नावों की मदद से बचाव कार्य कर रहे हैं। नदी में करीब 40-50 लोग हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने एक ट्वीट में कहा कि वह त्रासदी से दुखी हैं। उन्होंने कहा, प्रशासन द्वारा राहत और बचाव अभियान जारी है। प्रशासन को घायलों के तत्काल इलाज की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। मैं इस संबंध में जिला प्रशासन के लगातार संपर्क में हूं।

शुरू हुआ सोशल मीडिया ट्रायल: घटना के विडिओ सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद और न्यूज चैनल में आने के बाद घटना का सोशल मीडिया ट्रायल शुरू हो गया। जिसमें तमाम राजनीतिक दलों से संबंधित लोग एक-दूसरे की पार्टी पर इस घटना का आरोप लगाते हुए नज़र आए।

आंदोलन की चेतावनी के बाद सड़क का रखरखाव हुआ शुरू

धनवंतरी नगर व्यापारी संघ और उसके पदाधिकारियों के ने धनवंतरी नगर मुख्य चौराहे से सांई कालोनी तक बन रही सीमेंट कांक्रीट रोड कार्य में ठेकेदार की लापरवाही और रोड पर पानी का छिड़काव न किये जाने से प्रदूषण से हो रही परेशानी से सम्भागीय अधिकारी कृष्णा रावत को अवगत कराया था। साथ ही व्यापारी संघ अध्यक्ष सर्वेश सक्सेना ने उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी थी। जिसके बाद से नगर निगम द्वारा निरंतर सिंचाई करवायी जा रही है। व्यापारी संघ के अध्यक्ष ने बताया कि संघ के पदाधिकारियों की तत्परता के चलते महाराणा प्रताप वार्ड क्रमांक 16 के नगर निगम सुपरवाइजर मनोहर ने ठेकेदार द्वारा छोड़ी गई गंदगी को साफ करवाया। उन्होंने क्षेत्र के नागरिकों से सड़क के रख-रखाव को लेकर अपील की है कि वे नागरिक जो मेन रोड पर निवासरत हैं यदि वे स्वयं भी अपने घरों के सामने दिन में तीन से चार-बार सिंचाई करेंगे तो धूल से बचा जा सकता है।

सत्तायें साहित्य को लेकर आशंकित रहती हैं – राजीव कुमार शुक्ल

शनिवार 29 अक्टूबर को कालजयी अनिल कुमार श्रीवास्तव फाउंडेशन द्वारा लगातार दूसरे वर्ष दो दिवसीय साहित्य उत्सव ”शब्द” का आयोजन किया, संस्कृति थिएटर कल्चरल स्ट्रीट में शुरू हुए इस कार्यक्रम का उद्घाटन जबलपुर महापौर जगत बहादुर अन्नू और नगर निगम जबलपुर के पूर्व आयुक्त वेदप्रकाश ने किया।

उद्घाटन के बाद व्यंग्यकार प्रिय अभिषेक और दिनेश चौधरी ने अपना व्यंग्य पढ़ा। आयोजन के पहले दिन ओपन माइक का भी आयोजन किया गया जिसमें युवा प्रतिभाओं ने अपनी मौलिक रचनाएँ पढ़ीं। शाम को राजीव कुमार शुक्ल की काव्य चर्चा के बाद कदम संस्था के कलाकारों द्वारा अहीर नृत्य प्रस्तुत किया गया। कल 30 अक्टूबर को काव्य और गद्य से जुड़े सत्र और ओपन माइक के अलावा कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति भी होगी। कालजयी अनिल कुमार श्रीवास्तव फाउंडेशन के साहित्य उत्सव ”शब्द” को युवाओं द्वारा बेहद पसंद भी किया जा रहा है। इस कार्यक्रम पर विस्तृत रिपोर्ट देखिए हमारे इस विडियो में।

31 दिसंबर से पहले टूटी-फूटी सड़कों को ठीक किया जाए

समय सीमा पर काम पूरा नहीं करने वाले ठेकेदारों पर करें कार्यवाही

कल शनिवार 29 अक्टूबर को मध्यप्रदेश शासन के नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त भरत यादव ने शहर में चल रही विभिन्न परियोजनाओं और कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने हनुमानताल तालाब, चंडालभाटा स्थित ग्रीन बेल्ट, सीवर परियोजना अंतर्गत ग्रीन सिटी में चल रहे कार्य, कठौंदा में निर्मित 32 एम.एल.डी. क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत कुदवारी क्षेत्र में निर्माणाधीन आवासों का निरीक्षण किया। भरत यादव ने हनुमानताल और चंडालभाटा स्थित ग्रीन बेल्ट के वृक्षारोपण में नगर निगम के कामों की सराहना की साथ ही सीवर परियोजना के अंतर्गत ग्रीन सिटी क्षेत्र में किये जा रहे सीवर लाइन के कार्य में तेजी लाकर उसे समयसीमा में पूरा करने और उक्त परियोजना के बाकी कार्यों को मार्च 2023 के पूर्व करने के निर्देश दिए गए।

भरत यादव आयुक्त, संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं आवास भोपाल ने कठौंदा में निर्मित 32 एम.एल.डी. क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का विस्तृत निरीक्षण कर वृक्षारोपण भी किया। जिसमे उन्होंने उक्त एस.टी.पी. में शोधित जल का पुनरुपयोग पौधों की सिंचाईं, नगर निगम के वाहनों को धोने में करने के साथ-साथ पुनर्चक्रीकरण एवं पुनरुपयोग के लिए कार्ययोजना तैयार करने निर्देश दिए। इसके अलावा उन्होंने इस एस.टी.पी. के संचालन में उपयोग लायी जा रही विद्युत की खपत कम करने सोलर पैनल लगाने और एस.टी.पी. में किये जा रहे शोधित जल की शुद्धता मोनिटरिंग करने ऑनलाइन मोनिटरिंग स्टेशन लगाने को कहा।

इसके बाद यादव ने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत कुदवारी क्षेत्र में निर्माणाधीन आवासों का स्थल निरीक्षण कर कार्यों में शीघ्र पूरा कर आमजनों को शासन की योजना से लाभांवित करने अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने जबलपुर शहर के विभिन्न क्षेत्रो में क्षतिग्रस्त सड़कों एवं नगर निगम द्वारा किये जा रहे सड़कों के मरम्मत कार्य का भी निरीक्षण किया। उनके द्वारा सम्बंधित अधिकारियो को उक्त सभी क्षतिग्रस्त सड़कों के मरम्मत कार्यों को 31 दिसंबर से पूर्व करने के निर्देश दिए गए। विदित हो कि भरत यादव पूर्व में जबलपुर कलेक्टर के पद पर रहकर जबलपुर में बेहद सराहनीय कार्य कर चुके हैं।

उक्त निरीक्षण के अवसर पर निगमायुक्त आशीष वशिष्ट, अपर कलेक्टर शेरसिंह मीना, संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं आवास जबलपुर परमेश जलोटे, अपर आयुक्त महेश कोरी, आर.पी. मिश्रा, अधीक्षण यंत्री कमलेश श्रीवास्तव, अधीक्षण यंत्री नगरीय प्रशासन एवं आवास जबलपुर एवं अन्य अधिकारी प्रदीप मिश्रा, सहायक यंत्री संजय सिंह आदि उपस्थित रहे।

कल से शुरु होगा “शब्द” का दो दिवसीय साहित्य, रंगकर्म और सिनेमा से जुड़ा कार्यक्रम

Literature-event-cultural-street-shabd-2022-Jabalpur

संस्कारधानी ने यहाँ के लोगों और संस्थाओं के प्रयासों के चलते साहित्यिक क्षेत्र में भी ख्याति पाई है। शहर में होने वाले साहित्य और रंगकर्म से जुड़े आयोजनों के चलते नवीन प्रतिभाओं को वरिष्ठ कलाकरों का मार्गदर्शन भी मिलता है। कालजयी अनिल कुमार श्रीवास्तव फाउंडेशन भी बीते कुछ वर्षों से ऐसे ही आयोजन के ज़रिए साहित्यकारों, नवीन प्रतिभाओं और साहित्यप्रेमियों को जोड़ने का काम कर रहा है। फाउंडेशन अपने प्रयासों को निरंतर रखते हुए इस वर्ष भी दो दिवसीय साहित्य उत्सव ”शब्द” का आयोजन कर रहा है।

संस्कृति थिएटर कल्चरल स्ट्रीट में दिनांक 29 व 30 अक्टूबर को होने वाले साहित्य उत्सव ”शब्द” का उद्घाटन 29 अक्टूबर को सुबह 11 बजे किया जाएगा। साहित्य उत्सव ”शब्द” का पहला ”कालजयी अनिल कुमार श्रीवास्तव आखर जोगी सम्मान” हिंदी कविता के लिए वरिष्ठ कवि मलय एवं संस्कृत भाषा व वांग्मय के लिए आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी को दिया जा रहा है।

shabdh sahitya aayojan cultural street jabalpur

शब्द में लखनऊ से कवि अष्टभुजा शुक्ल, कानपुर से कवि पंकज चतुर्वेदी, मुम्बई से कवयित्री अनुराधा सिंह, दिल्ली से कवि अविनाश मिश्र, प्रयागराज से कवि हरिश्चंद्र पांडेय, सवाई माधोपुर से कवि विनोद पदरज, बनारस से व्योमेश शुल्क, भोपाल से कवयित्री रक्षा दुबे, इंदौर से नवीन रंगियाल व जबलपुर से बाबुषा कोहिली शामिल हो रहे हैं।

उद्घाटन सत्र के बाद आयोजन में 12:30 बजे से व्यंग्य सत्र होगा। जिसमें ग्वालियर से प्रिय अभिषेक और जबलपुर से दिनेश चौधरी अपनी रचनाओं का पाठ करेंगे। तीन बजे युवा रचनाकारों के लिए ओपन माइक में सहभागिता करेंगे। पांच बजे काव्य चर्चा होगी। कदम संस्था के कलाकार अहीर नृत्य की प्रस्तुति देंगे। शाम छह बजे मेरे प्रिय कवि सत्र में विवेक चतुर्वेदी व अलंकृति श्रीवास्तव अपने कविता पाठ करेंगे। साढ़े छह बजे काव्य संध्या होगी। जहां अथिति कवि काव्य पाठ करेंगे। आठ बजे मैं और तुम, कविता कोलाज में भोपाल से आए कवि अभिषेक सिंह की कविताओं पर विवेचना रंगमंडल का कलाकार प्रस्तुति देंगे।

shabdh sahitya aayojan cultural street jabalpur

दूसरे दिन आयोजन को शुरुआत सुबह 11 बजे कहानी सत्र- एक बार को बात होगा। जिसमें नागपुर से मनोज रूपड़ा व जबलपुर से राजेन्द्र दानी प्रस्तुति देंगे। दोपहर में 12 बजे विरासत सत्र में महाकवि भास और उनका कृतित्व विषय पर भोपाल से संगीत गुंदेचा अपनी बात रखेंगी। इसके बाद 12:30 बजे बात परसाई की में अरुण पांडेय, तरुण गुहा नियोगी और हिमांशु राय हरिशंकर परसाई की रचनाओं पर बात करेंगे। दूसरे दिन भी युवाओं के लिए ओपन माइक रखा गया है। 4:30 पर साहित्य और सिनेमा विषय पर मुम्बई से आ रहे सत्यदेव त्रिपाठी के साथ जबलपुर से पंकज स्वामी चर्चा करेंगे। शाम 5:30 बजे कविताओं की सांगीतिक प्रस्तुति डॉ. शिप्रा सुल्लेरे व साथी और तापसी – मुरिलधर नागराज द्वारा दी जाएगी। काव्य संध्या का आयोजन 6:30 बजे होगा। रात 8 बजे पर्दा उठाओ पर्दा गिराओ में नाटक दूसरा पुल और जो चिट्ठी भेजी नहीं गई कि प्रस्तुति दी जाएगी।

shabdh sahitya aayojan cultural street jabalpur

एक नहीं, तीन-तीन मान्यताएँ जुड़ी हैं छठ महापर्व से

three beliefs are associated with Chhath festival

भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के हिस्सों में छठ महापर्व का विशेष महत्त्व है। चार दिन के इस व्रत में स्त्रियाँ निर्जल और निराहार उपवास रखती हैं। स्नान से शुरू होने वाला ये पर्व डूबते और उगने वाले सूर्य को अर्ध्य देने की परंपराओं से बंधा हुआ है। साल में दो बार चैत्र और कार्तिक में यह पर्व आता है। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर इसे ‘चैती छठ’ और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को ‘कार्तिकी छठ’ कहा जाता है। संतान प्राप्ति, पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए ये पर्व मनाया जाता है।

आस्था के साथ है जुड़ा है विज्ञान : धार्मिक मतों से संबंध रखने वाले विशेषज्ञ बताते हैं कि छठ पर्व से आस्था के साथ विज्ञान भी जुड़ा हुआ है, षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला ये पर्व एक खगोलीय अवसर के साथ आता है। जब सूर्य की पराबैगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं। उसके संभावित कुप्रभावों से प्राणियों की यथासंभव रक्षा करने का सामर्थ्य इस परंपरा में है। इससे पृथ्वी के जीवों को इससे बहुत लाभ मिलता है।

Chhath Pooja

पर्व का नाम छठ कैसे पड़ा: यह पर्व कर्तिक और चैत्र मास की अमावस्या के छ: दिन बाद यानि ज्योतिषीय गणना के आधार पर षष्ठी तिथि को आता है इसलिए इसे छठ कहा गया।

क्यूँ मनाते हैं?: छठ पर्व को लेकर काफी मान्यताएँ प्रचलित हैं जिसमें से एक है कि वनवास से लौटकर प्रभु राम और देवी सीता ने  रावण वध के पाप से मुक्त होने ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूय यज्ञ किया। जिसकी पूजा में पूजा मुग्दल ऋषि ने करवायी। मुग्दल ऋषि ने माता सीता पर गंगाजल छिड़ककर उन्हें पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने को कहा। तब माता सीता मुग्दल ऋषि के आश्रम में छः दिन तक रहीं और सूर्यदेव की पूजा की।

महाभारत में भी है ज़िक्र: महाभारत काल में कर्ण के सूर्य उपासक होने की बात सामने आती है। कारण प्रतिदिन घंटों तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते। सूर्य ने ही कर्ण को कवच और कुंडल दिए। इस तरह से आज भी अर्घ्य देने की यह परंपरा जारी है।

द्रोपदी ने किया था छठ व्रत: ऐसी मान्यता है कि जब जुएँ में पांडव अपना सारा वैभव हार गए  तब द्रोपदी ने यह व्रत किया। जिससे पांडवों को खोया राज्य और हारा हुआ वैभव वापिस मिला। ऐसा भी कहा जाता है कि सूर्य देव और छठी मईया का भाई-बहिन हैं। इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की आराधना शुभ मानी गई।

Chhath Pooja Chhathi Maiya

छठी मैया की सुनी जाती है ये कथा: राजा मनु के पुत्र प्रियवत की कोई संतान नहीं थी। महर्षि कश्यप ने प्रियवत ने संतान प्राप्ति के लिए पुत्रयेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी। इसके बाद प्रियवत की पत्नि को पुत्र पैदा हुआ। लेकिन वह जीवित नहीं था। इससे सम्पूर्ण राज्य में शोक छा गया। इस शोक में डूबा प्रियवत अपने मृत पुत्र को लेकर शमशान गया और अपने भी प्राण त्यागने की तैयारी करने लगा। उसी समय वहां विमान से षष्ठीदेवी आ पहुंची। मृत बालक को भूमि पर रखकर राजा ने देवी को प्रणाम किया। देवी ने अपना परिचय दिया कि वे ब्रह्मा की मानस कन्या देवसेना हैं। मूल प्रकृति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण विश्व में षष्ठी नाम से मेरी प्रसिद्धि है। देवी ने बालक को उठा लिया और पुनः जीवित कर दिया। राजा ने उसी दिन नगर में जाकर षष्ठी देवी की महिमा के बारे में सबको बताया और बड़े उत्साह से नियमानुसार षष्ठीदेवी की पूजा की। कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को यह विधान होने से षष्ठी देवी का व्रत होने लगा।

Chhath Pooja (9)

कैसे मानते हैं छठ? :यह पर्व चार दिनों का है जो भाईदूज के तीसरे दिन से शुरू होता है। छठ के पहले दिन सेंधा नमक और घी से पकाया हुआ अरवा चावल कद्दू की सब्जी के साथ प्रसाद के रूप में लेते है। इसके अगले दिन से व्रत शुरू होता है। इस रात खीर बनती है। व्रत करने वाली स्त्रियाँ रात में इसे प्रसाद के रूप में लेते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और व्रत के अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। व्रत के दौरान लहसुन, प्याज का सेवन वर्जित होता है इसलिए जिन घरों में यह व्रत रखा जाता है वहाँ व्रत के दिनों तक लहसुन-प्याज के बिना ही भोजन पकाया जाता है। घरों में भक्तिमय गीत गाए जाते हैं, मंडलियाँ बैठती है। आजकल पंडालों में सूर्यदेवता की मूर्ति की स्थापित होने लगी हैं, ये नया चलन है। सुबह अर्घ्य के बाद आयोजक माइक पर चिल्लाकर प्रसाद मांगते हैं। पटाखे भी छोड़े जाते हैं। कहीं-कहीं आर्केस्ट्रा का आयोजन भी होता है।