रतलाम में सामने आए ‘डिजिटल अरेस्ट’ के सनसनीखेज साइबर ठगी मामले ने जबलपुर तक अपनी जड़ें फैला दी हैं। रिटायर्ड प्रोफेसर से 1.34 करोड़ की ठगी में जबलपुर के आरोपियों की अहम भूमिका उजागर हुई है। एसपी अमित कुमार के निर्देशन में रतलाम पुलिस ने अब तक 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर बड़ा नेटवर्क तोड़ा है।

फैज वारसी (जबलपुर) रतलाम के दीनदयाल नगर थाना क्षेत्र में सामने आए इस हाई-प्रोफाइल साइबर क्राइम में आरोपियों ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर रिटायर्ड प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट में रखा। लगातार वीडियो कॉल, फर्जी कोर्ट कार्यवाही और गिरफ्तारी की धमकी देकर पीड़ित को 28 दिनों तक मानसिक रूप से बंधक बनाए रखा गया। इसी दबाव में उनसे अलग-अलग बैंक खातों में 1 करोड़ 34 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए।
जबलपुर के खातों से हुआ लाखों का लेनदेन
जांच के दौरान रतलाम पुलिस को ठगी की रकम का अहम ट्रेल जबलपुर से मिला। यहां से अशोक जायसवाल, सनी जायसवाल और सारांश तिवारी सहित एक नाबालिग को गिरफ्तार किया गया। पुलिस जांच में सामने आया कि इन आरोपियों के बैंक खातों में लाखों रुपये का संदिग्ध लेनदेन हुआ था, जो सीधे ठगी की रकम से जुड़ा हुआ है। इन खातों का इस्तेमाल आगे क्रिप्टोकरेंसी खरीदने में किया गया।

अंतरराज्यीय साइबर गिरोह का हिस्सा थे आरोपी
एसपी अमित कुमार के निर्देशन में गठित 18 सदस्यीय SIT की जांच में खुलासा हुआ कि यह कोई अकेली वारदात नहीं, बल्कि संगठित अंतरराज्यीय साइबर गिरोह है। गिरोह के तार कश्मीर, गुजरात, बिहार, असम और मध्य प्रदेश से जुड़े हैं। ठगी की रकम सूरत के रास्ते क्रिप्टोकरेंसी में बदली गई और कंबोडिया तक पहुंचाई गई।

जबलपुर से लेकर गुजरात-बिहार तक गिरफ्तारी
पुलिस ने जबलपुर के आरोपियों के अलावा नीमच से पवन कुमावत, उत्तर प्रदेश से NGO संचालक अमरेन्द्र मौर्य और गुजरात से आरिफ घाटा, हमीद खान पठान, शाहिद कुरैशी व सादिक हसन समा को भी गिरफ्तार किया है। इन सभी पर ठगी की रकम को घुमाने और क्रिप्टो के जरिए अवैध लाभ कमाने का आरोप है।

11 लाख रूपये फ्रीज, जांच जारी
रतलाम पुलिस ने अब तक 11 लाख रुपये की राशि फ्रीज करवाई है। मुख्य खातों की फॉरेंसिक ट्रेसिंग में करोड़ों के संदिग्ध ट्रांजेक्शन सामने आए हैं। पुलिस का कहना है कि कई अन्य आरोपी अभी फरार हैं, जिनकी तलाश तेजी से जारी है।
पुलिस की चेतावनी: डिजिटल अरेस्ट से रहें सतर्क

एसपी अमित कुमार ने साफ कहा कि पुलिस या कोर्ट कभी भी वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी या डिजिटल अरेस्ट नहीं करती। अनजान कॉल, फर्जी नोटिस और कथित अधिकारियों से डरकर कोई भी रकम ट्रांसफर न करें। यह कार्रवाई न सिर्फ रतलाम पुलिस की बड़ी सफलता है, बल्कि आम नागरिकों के लिए एक कड़ी चेतावनी भी है कि साइबर ठग अब नए और खतरनाक मनोवैज्ञानिक हथकंडे अपना रहे हैं।



